ऊंची एडी की सेडिल के चलन को खासकर भारीभरकम बदन वाली महिलाओं के लिए अच्छा नहीं बतलाया गया था .हाइपर -टेंशन के खतरे को बढ़ाने वाली शःकहा गया था ।
अब एक अध्धय्यन से पता चला है कम उम्र से ही ऊंची एडी की सेंडिल पहनने वाली महिलायें आगे चलकर प्रौढ़ होते होते भी जोडो के दर्द ,गठिया ,संधिवात (आर्थ -राइतिस )से कराह उठेंगी .जोखिम बढ़ जाता है -जोडो की पीडा का ।
मर्द फ़िर भी जूतों की बनावट की वजह से अपेक्षा कृत बचा रहता है .(फ्लेट सोल सर्वोत्तम है )।
लेकिन युवतियों को निश्चय ही सावधानी बरतनी चाहिए जूते चप्पल ,सेंडिल ,बेलीज़ के चयन में ,ताकि पैर को बराबर आराम मिले ,आगे चल कर हिंड-फ़ुट की समस्या और पीडा से बचे रहने के लिए यह ज़रूरी है .या फ़िर नियमित स्ट्रेचिंग एक्षर -साइज़ (स्ट्रेचिंग कसरतों )का सहारा लिया जाए ताकि पैरो को ऊंची एडी वाली सेंडिलों के दुष्प्रभाव से बचाया जा सके ।
बोस्टन स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ तथा इंस्टिट्यूट फार एजिंग रिसर्च ,हेब्रू सीनीयर लाइफ स्तिथ के शोध कर्ताओं ने यही सिफारिश की है .यह तमाम शोध कार्य अमेरिकन कालिज आफ रुमेतालाजी की तरफ़ से आगे बढाया गया है .अध्धय्यन में फुट वीयर और जोंट्स पेन में साफ़ अन्तर सम्बन्ध देखने को मिला है -पूअर शू चयन और आर्थ -राइतिस एक दूसरे से नत्थी हैं ।
रूमेतालाजी के तहत जोडों के दर्द ,गठिया ,संधिवात आदि रोगों का अध्धय्यन और निदान आता है .
बुधवार, 30 सितंबर 2009
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