एक अमरीकी अध्धय्यन के नतीजे काम की बात बतलातें हैं ,आप भी जानिए -यदि दिमाग को पैनाने औ धारदार बनाए रखने की तमन्ना बाकी है ,आप अपना आई .क्यु .(बुद्धि कोशांक )बढाना चाहतें हैं ,कला फिल्में देखिये ,खुश्वन्त्सिंघ्जी की फेंतेसीज़ पढिये ,फ्रेंज काफ्का (चेक -नाविलिस्ट ,१८८३-१९२४ )को पढिये .अस्तित्व -वाद समझ आ जाएगा ,२० वी शती की कलाकृतियाँ देखिये -सुर -रीयलिज्म को जानिए समझिये -एक ऐसा खाब आपने देखा है जिसमे एक शानदार भव्य महल है ,जो जर्जर भी है ,जीर्णशीर्ण भी है ,एक ऐसी कलाकृति देखिये जिसमे परस्पर असम्पृक्त चीज़ों को समायोजित किया गया है ,जिसमे आपका अवचेतन झाँक रहा है -बस जैसे ही आप एक भूलभुलैयाँ में शब्दों की अर्थों की प्रवेश करेंगे ,एक एब्सर्दिती से दो चार होंगे ,दिमाग के पट खुल जायेंगे ,थोडा सा ग्रे मीटर पैदा हो जाएगा (नए न्युरोंस भी शायद बन जाएँ ,दिमाग की एकल कोशिका को ही न्यूरोन कहा जाता है ).अध्धय्यन का यही संकेत है ।
इसी सबसे प्रेरित होकर शायद सहज बोध -वश हम भी बच्ची कार्कारिया ,जग -सुरैया ,शोभा दे को पढने समझने लगें हैं .केटिल-क्लास से ऊपर आने लगें हैं हम .त्वितीरात्री banne की तमन्ना है .ट्विटर एडिक्ट हुआ चाहतें हैं हम भी .वैसे आपको बत्लादें केटिल शब्द का अर्थ होता है ,हमारे जैसा एक आदमी जिसकी कोई अलग से शक्शियत ,एहमियत नाहो ,ऐ क्राउड आफ मॉस .,पीपुल आफ अन्दिफ़्रेन्शिएतिद मॉस ,भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता ।
वैसे १९ वी शती के अमरीका में गायों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए केटिल कार्स(कारें ) होती थी .आज कल इसे हवाई जहाज की इकानोमी क्लास कहा जाता है .इसे समझने के लिए आपको त्वीत्रात्त्री होना पडेगा ,त्वीत करना पडेगा .फ़िर जांच करवाइए अपने आई .क्यु .की ।
यकीं मानिए हमने जवानी में भी एक किताब पढ़ी थी -मिस्टर ताम्प्किन इन वंडर लैण्ड .किताब के लेखक ने गलती से दिन में आइंस्टाइन का सापेक्षवाद पर (ठोरी आफ रिलेटिविटी )पर भाषण सुन लिया था -रात को उसे अजीबो -गरीब खाब आए ,किताब में उनका ही हवाला है .तब से हमें भी चाट लगी है .अजीबोगरीब पढने लिखने की .आप भी पढिये देखिये एब्सर्ड चीज़ें ,अपना आई .क्यु .बढाइये .
रविवार, 20 सितंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें