पहली मर्तबा खगोल विज्ञानियों को एक ऐसा चट्टानी ग्रह मिला है जिसके नीचे जमीन है ,खडा हुआ जा सकता है ,जो ठोस है ,गैसीय नहीं है ,काश यह उतना गर्म ना होता .यूँ अब तक खगोलविदों ने करीब तीन सौ पार सौर -मंडलीय ग्रहों का पता लगा लिया है .लेकिन यह गैसीय ही हैं ,अब योरपीय खगोल -विदों की एक टीम ने एक राकी प्लेनेट का पता लगा या है .यह एक बड़ी खबर है क्योंकि जीवन को संभाले रखने के लिए किसी भी ग्रह का ठोस रूप होना पहली शर्त है .हमारी पृथ्वी भी तो एक चट्टानी गोल ही है ,दीगर है ,इसके अन्तर -भाग में आज भी उत्तप्त लोहा बरसता है .औ कभी यह एक आग का ही गोला थी ।
बेशक यह ग्रह अब तक के पार -सौर -मंडलीय ग्रहों में पृथ्वी जैसा है ,लेकिन यह अपने सूर्या के (सितारे के )इतना निकट बना हुआ है ,इसकासतह का तापमान ३६०० डिग्री फारेन्हाईट है .यह अपने पेरेंट सितारे की एक परिक्रमा मात्र बीस घंटों में ४,६६ ,००० ,मील प्रति घंटा की चाल से पूरी कर लेता है ,जबकि सौर मंडल के इनर प्लेनेट मरकरी (बुद्ध )को ऐसा करने में ८८ दिन लग जातें हैं ।
खगोल विज्ञानी उक्त ग्रह को लावा ग्रह (अति -उत्तप्त )कह रहें हैं .इसे नाम दिया गया है -कोरोत -७बी .इस वर्ष के शुरू में ही इसे देखा गया था ,तब से आदिनांक खगोल विज्ञानी कई बार इस के घनत्व (डेन्सिटी )का जायजा ले चुकें हैं .हर बार इसके ठोस होने की पुष्टि हुई है ।
महज इत्तेफाक है ,हमारी पृथ्वी सूरज से (अपने पेरेंट स्टार )ठीक -ठाक दूरी पर है ,एक ठीक गुरुत्व यहाँ वायुमंडल को थामे हुए है ,प्रान वायु ओक्सिजन औ नाइट्रोजन का यहाँ सही अनुपात है , अन्य गैसें जैसे अल्पांश में ही है .सुदूर अतीत में कभी हाई -द्रोजं -अन थी तो वह अंतरीक्ष में कूच कर गई ,औ यहाँ जीवन है ,जीवन के अनुकूल माहौल है .लेकिन कब तक ?हमारा कार्बन फुट प्रिंट बेतहाशा बढ़ रहा है -हम अमीर -गरीब के झगडे में फंसे हुए हैं .ओजोन कवच छीज रहा है .जलवायु करवट ले रही है ।
सन्दर्भ सामिग्री :-फस्ट राकी एक्स्ट्रा -सोलर प्लेनेट दिस्कवार्ड (टाईम्स ऑफ़ इंडिया ,सितम्बर १७ ,२००९ पृष्ठ १९ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरू भाई )
गुरुवार, 17 सितंबर 2009
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