लाइफ लॉन्ग लर्निंग एंड सोशल एंगेजमेंट :
ता-उम्र कुछ नया करते सीखते रहना ऐसा जिससे मानसिक क्षमताओं का विकास हो, जानकारी भी बढे दिमाग को ,पैनाये रहता है .ऐसा होने पर दिमाग में सेल टू सेल कनेक्टिविटी ज्यादा न्यूरल सर्किट्स पैदा होतें हैं जो दिमाग की हिफाज़त अल्ज़ाइमर्स से पैदा होने वाले दिमागी बदलावों से करने लगते हैं .
मेरे इक मित्र हैं सेवानिवृत्त होने के काफी साल बाद अब उन्होंने डी .लिट किया है ,अनेक ग्रंथों का अनुवाद किया है .मानसिक तौर पर चुस्त दुरुस्त हैं बावजूद उम्र जन्य शारीरिक विकलांगता के .
इसलिए कुछ चीज़ें ऐसी है जो अल्ज़ाइमर्स के खतरे के वजन को कम करतीं हैं ।
(१)औपचारिक शिक्षा का उच्चतर स्तर ।
(२)रुचिपरक कामकाज (जॉब ).,जिसमे थोड़ी सी उत्तेजना काभी अंश हो .
(३)पढ़ना ,खेलना ,वाद्य संगीत में दखल रखना .
(४)सामाजिक मेल मिलाप ।
दिमाग की कसरत (पढने )लिखने वालों के कोगनिटिव डिक्लाइन का इल्म भी नहीं होता .अलावा इसके इक सिद्धांत ऐसा भी मानता समझता है ,अल्ज़ाइमर्स का रोग निदान होने से पहले ही लोगों की सीखने की क्षमताऔर रुझान कुछ उत्तेजना परक करने का भी छीजने लगता है ।
(ज़ारी...).
मंगलवार, 19 अप्रैल 2011
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2 टिप्पणियां:
अच्छी जानकारी...
Shukriya!md !aapkaa !aapke padhaarne kaa !Hauslaa afzaai karne kaa !
veerubhai.
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