व्हाट डू डॉक्टर्स डू ?
दिमाग और नर्वस सिस्टम (स्नायु -तंत्र )से ताल्लुक रखने वाले रोगों के माहिर को न्यूरोलोजिस्ट कहा जाता है .यदि आपको दौरा (सीज़र )पड़ा है ,दौरे पड़ते रहें हैं ,आपको यह बात अपने पारिवारिक चिकित्सक को बतानी चाहिए .वह आपको न्यूरोलोजिस्ट के पास रोग निदान (एपिलेप्सी का पता लगाने के लिए )भेज सकता है ।
आपका फिजिकल एग्जामिनेशन (काया परीक्षण )करने के बाद स्नायुतंत्र विज्ञानी एवं दिमागी और स्नायु तंत्र के रोगों का माहिर आपकी वर्तमान चिंताओं ,लक्षणों ,पूर्व में रही आई आपकी सेहत के बारे में ,यदि कोई दवा आप लेतें रहें हैं ,किसी दवा विशेष या समूह से आपको एलर्जी है ,आदि के बारे में दरयाफ्त करेगा .आपका चिकित्सा इतिहास जानना चाहेगा .सबसे ज़रूरी है किसी ऐसे आदमी को साथ लेकर जाना जिसने आपको सीज़र्स के दरमियान देखा हो ,और उसका सही सही ब्योरा डॉ को बता सके .बेशक लिख कर ले जाया जाएँ उन लक्षणों को ।
काय परीक्षण के अलावा ई ई जी ,दिमाग का सी टी स्कैन ,एम् आर आई आदि आजकल रूटीन में ही किया जाता है ताकिअसर ग्रस्त व्यक्ति जिसे दौरे पड़ते रहें हैं उसके दिमाग में चलने वाली विद्युत् गति -विधि (इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी ) का जायजा लिया जा सके .इन परीक्षणों में किसी प्रकार की तकलीफ मरीज़ को नहीं होती है ।
एपिलेप्सी का रोग निदान पुख्ता होने पर डॉ .उचित इलाज़ करने की सिफारिश करता है नुश्खा लिखता है ।
मेडिकेशन (दवा दारु )के अलावा कई मर्तबा कई और चिकित्साएँ भी आजमाई जातीं हैं ।
सबका ध्येय सीज़र्स की प्रभावी तरीके से रोक थाम करना होता है ।
कई बार न्यूरोलोजिस्ट दिमाग के प्रभावित हिस्से में एक नर्व स्तिम्युलेटर (वेगस)इम्प्लांट कर देता है .इस प्रत्या रोप का मकसद भी दौरों की प्रभावी रोक थाम करना ही होता है .कई मर्तबा कुछ नाड़ियों को काट कर ही फैंक देना पड़ता है .नर्व स्तिम्युलेटर वेगस नर्व में से होकर जो गले में स्थित होती है सिग्नल भेजता है ताकि सीज़र रोके जा सकें ।
जिन्हें सिर्फ दवाओं से आराम नहीं आता उन्हें ख़ास खुराक भी तजवीज़ की जाती है जिसे केटोजेनिक डाईट कहा जाता है ।
दिमागी ऊतकों पर भी शल्यसीधे सीधे आजमाया जाता है .हर मामला दूसरे से जुदा होता है ।
केटोजेनिक डाईट इज वन देट प्रोमोट्स दी फोरमेशन ऑफ़ कीटोन्स बॉडीज इन दी तिश्युज़ .इन दिस डाईट दी प्रिंसिपल एनर्जी सोर्स इज फैट रादर देन कार्बो -हाई -ड्रेट्स .यानी चिकनाई बहुल होती है यह खुराक ताकि ऊतकों में कीटोन्स बॉडीज को बढावा दिया जा सके .
(ज़ारी ...).
बुधवार, 27 अप्रैल 2011
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2 टिप्पणियां:
जीवनोपयोगी चिकित्सकीय जानकारी के लिए ...साधुवाद
jhanjhat sahib shukriyaa aapkaa !
veerubhai .
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