रविवार, 12 सितंबर 2010

बच्चों में कहाँ पान की स्वास्थाय्कर आदतें बड़े काम की हैं

हेल्दी चाइल्ड हेबिट्स रिड्यूस हेल्थ रिस्क्स लेटर .स्टार्ट अर्ली टू स्टे हेल्दी फॉर लाइफ (प्रिवेंशन ,सितम्बर २०१० ,पृष्ठ ५१ )।
नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (एन ऍफ़ एच एस )के अनुसार तकरीबन तीन करोड़ भारतीय मोटापे की गिरिफ्त में हैं और अधिकाधिक लोग मोटापे की जद में लगातार आरहें हैं .दिक्कत यह है मोटापे के साथ ही अनेक और रोगों का जोखिम बढ़ जाता है जिनमे से प्रमुख और आम दोनों ही हैं ,सेकेंडरी डायबिटीज़ (जीवन शैली रोग टाइप-टू डायबिटीज़ )हाई -पर -टेंशन ,ऑस्टियो -आर्थ -राय -टिस,स्तन तथा गर्भाशय कैंसर (ब्रेस्ट एंड यूटेराइन कैंसर ),मासिक स्राव सम्बन्धी समस्याएं (मेंस -त्र्युअल डिस -ऑर्डर),बांझपन (इन -फर्टिलिटी )आदि ।
बेहतर हो खान -पान की स्वस्थ आदतें बच्चों में बचपन से ही डाली जाएँ .धीरे धीरे यही स्वभाव का हिस्सा बन जातीं हैं .आधुनिक जीवन शैली रोगों की बुनियाद (नींव )बचपन में क्यों पड़ने दी जाए .किशोरावस्था तक इंतज़ार करते करते बहुत देर हो जायेगी .आज ही पहल कीजिये ।
पोलसन बटर(नमकीन पीले मख्खन )से अच्छा है व्हाईट बटर (लोनी ,पानी युक्त छाछ से निकाला गया मख्खन ,बिना नमक का ),छाछ बेहतर है अस्थियों के लिए ,बढती उम्र को ऊर्जा से भरे रहती है .पित्ज़ा को बस ट्रीट तक महदूद रखें .चीज़ फुल फैट है ,याद रखें ,एक पीत्सा में १०० ग्रेम तक चीज़ का डेरा रहता है .टोफू ,कोतेज़ चीज़ ,सपरेटा दूध से तैयार पनीर बेहतर है .नारियल पानी का ज़वाब नहीं .और सबसे ज्यादा ज़रूरी है ,सत-रंगी सलाद ,गहरे रंग के फल और तरकारियाँ जो फाइटो -केमिकल्स और एंटी -ओक्सिदेंट्स से भरपूर हैं .बच्चों के साथ बहार निकल कर खेलिए .उनसे जुड़िये ,समय निकालिए उनके लिए .आखिर पेट (पालतू पशु )केव लिए भी तो आप समय निकालते ही हैं .

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