बेशक बरसात के मौसम में वेक्टर बोर्न दिजीज़िज़ (मलेरिया ,डें -ग्यु ,चिकिनगुनिया आदि घात लगाए बैठे रहतें हैं .फफूंद जन्य रोगों का ख़तरा अलग से मंडराता रहता है .(भारत के उष्ण -कटी बंधी क्षेत्रों में बरसात के मौसम में ,अचार चटनी ,ब्रेड किसी में भी फंगी(फंगल इन्फेक्सन ) जड़ ज़माये बैठा हो सकता है .ज़रुरत है इन्हें सही जगह सही तापमान पर रखा जाए .डब्बे इम -रत्बान आदि के मुह पर सिरका (विनेगर लगा कर रखा जाये ताकि फफूंद ना लगे ).इन्हें एयर टाईट भी रखा जाए .
जल जीवन- अमृत सिर्फ हमारे लिए ही नहीं है तमाम तरह के रोगकारक पैथो-जंस के लिए भी है जो बेतहाशा अपनी कुनबा परस्ती करतें हैं बरसात लगते ही .और फफूंद की तो पौ बारह हो जाती है .तमाम तरह के नाशी जीवजंतु खुलकर खेलने लगतें हैं .ऐसे में जल जन्य रोगों का ख़तरा एक दम से बढ़ जाता है ,साथ ही स्वच्छ जल के सेवन की भीज़रुरत पहले से भी ज्यादा हो जाती है ,यहाँ तक की उबालना पड़ता है पानी को क्योंकि फिल्टर्स तो काम के हैं नहीं जो विषाणुओं का खात्मा कर सकें .हाल हीमें सुनीता नारायण(सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरनमेंट ) ने भारत में फिल्टर्स का जायज़ा लेते हुए यही चिंता ज़ाहिर की थी .आर ओ फार ओज सब ढकोसला ही ज्यादा हैं .अपना स्वच्छ पानी साथ रखिये बाहर निकलते वक्त .क्लोरिन की गोली और उबालने की प्रक्रिया ही भली .बच्चों के साथ स्कूल भेजते वक्त पानी रखना ना भूलें .स्कूल के ड्रिंकिंग वाटर टैंक्स का जायजा भी समय समय पर लीजिये कहीं डेड पेस्ट्स तो घर बनाए नहीं बैठें हैं ।
बाहर की चाट पकौड़ी से बचने की एक से ज्यादा वजहें हो सकतीं हैं स्वच्छ पानी का अभाव तो उनमे से बस एक ही है .बरसात के मौसम में हाई -जीन (स्वास्थ्य विज्ञान) की दृष्टि से चीज़ों का रख रखाव और भी ज़रूरी हो जाता है .यहाँ तो वेंडर्स ही रोग संक्रमण ग्रस्त रहतें हैं .वेक्टर बन जातें हैं बरसात में ।
इस दरमियान रोग प्रति -रोधी तंत्र को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए विटामिन -बी और विटामिन -सी का सेवन भी ज़रूरी है .फल और मोटे अनाजों से दोनों की आपूर्ति हो जाती है .लेकिन रा -सलाड्स भी खतरनाक हो सकतीं हैं बरसात के मौसम में ।
अचार घी आदि के डिब्बों में चमच्च देर तक ना छोड़ें .जो कुछ रखें एयर -टाईट कंटेनर्स में ही रखें .ध्यान रहे फंगस ना लगने पाए ।
सदूषित दूध की लस्सी ,फ्रूट क्रीम ,इतर डैरी-उत्पाद भी साख वाली जगह से ही लें .खतरनाक हो सकतें हैं संदूषित डैरी -प्रोडक्ट्स ।
फंगल इन्फेक्शन (फफूंद से पैदा चमड़ी रोग संक्रमण से बचाव के लिए नीम का बना नुस्खा आजमाइए .पहले साफ़ पानी से असर ग्रस्त चमड़ी को साफ़ कीजिए .नीम का तेल भी स्तेमाल में ले सकतें हैं .फफूंद और जीवाणु -नाशी क्रीम्स भी .
मच्छरों से बचाव के लिए एरोमा -थिरेपी काम में लें .यूकेलिप्टिस और लेमन ग्रास से मच्छर भगाइए .महीन नेट वाली मच्छर दानी भी स्तेमाल करें ।
इस मौसम में जोड़ों के दर्द से बचने के लिए व्यायाम भी ज़रूरी है .घर से बाहर नहीं जा सकते ,योगासन कीजिये .जा सकतें हैं तो जिम जाइए .व्यायाम शाला में जाइए ।
भुट्टा हर हाल में भला ,ग्रिल्ल्ड या बोइल्ड .उबला हुआ काला और सफ़ेद चना चाट में स्तेमाल करें .मूंगफली भी भली .हॉट ड्रिंक्स में जिंजर -टी (अदरक -मसाला चाय सबको भातीहै .)वैसे हॉट ड्रिंक्स में जस्मीन और चमोमिले भी हैं .जस्मीन इस यूस्ड टू फ्लेवर टी .
कामो -मिले :इट इज ए प्लांट विद ए स्वीट स्मेल एंड स्माल वाईट यलो फ्लावर्स .इट्स ड्राइड लीव्स एंड फ्लावर्स आर यूस्ड टू मेक टी एंड मेडिसंस.कामो -मिले टी इज फेमस .अदरक युक्त सूप्स भी भले रहतें हैं बरसात के मौसम में .
सन्दर्भ -सामिग्री :माइंड बॉडी सोल (हिन्दुस्तान टाइम्स /शिखा शर्मा /रैन रैन गो अवे .)
गुरुवार, 23 सितंबर 2010
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