व्हाट इज दी हुब्बेर्ट पीक थियरी ?/ओपन स्पेस /सन्डे टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर ,२६,२०१० ,पृष्ठ २८ )।
इस थियरी का नामकरण अमरीकी भू -भौतिकी -विद (जियो -फिज़िशिष्ट )एम् किंग के नाम को अमरत्व प्रदान करने के लिए किया गया है .इस उप -पत्ति(सिद्धांत या परिकल्पना )की तर्क आधारित मान्यता है ,विश्वाश है ,किसी भी भौगोलिक क्षेत्र के किसी भी एक इलाके में हमारे इस समूचे ग्रह के सापेक्ष पेट्रोलियम उत्पादन की दर को भलीभांति एक बेल -शेप्ड कर्व ही व्याख्यायित करता है .इसका मूल आशय साफ़ है किसी भी इलाके में तेल के सीमित भण्डार ही होतें है इसीलिए तेल उत्पादन दर का शीर्ष भी जल्दी ही आजाता है .उसके बाद उत्पादन दर गिरने लगती है ,गिरती चली जाती है ।
किसी देश की औसत आय के साथ भी यही ग्राफ लागू होगा .किसी भी मुल्क में नव -धनाड्दय(निओ -रिच्स )अरब -खरब- पतियों की संख्या सीमित होती है .नितांत दरिद्र लोग भी सीमित होतें हैं ,बहुलांश बीच के लोगों का होता है .जिनकी आय ही औसत आय का सही प्रति निधित्व करती है ।
ठीक ऐसे ही अति -मेधावान और मंद बुद्धि लोगों की तादाद सीमित होती है बहुलांश लोग औसत बुद्धि के ही स्वामी होतें हैं .तो ज़नाब यह इनवर्तिद- बेल- शेप्ड- कर्व ,प्रतिनिधित्व करता है एक से ज्यादा चीज़ों का सिर्फ किसी इलाके में तेल उत्पादन की दर ही नहीं औसत बुद्धि तत्व ,किसी देश के नागरिकों की औसत आय भी इसी कर्व से रेखांकित होती है .
रविवार, 26 सितंबर 2010
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