वीडियो -गेम्स इम्प्रूव किड्स स्किल्स ;(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुम्बई ,सितम्बर १४ ,२०१०,पृष्ठ १७ )।
बेशक वीडियो- गेम्स बच्चों की रोबोटिक स्कूल रूटीन, होम वर्क आदि का एक हिस्सा हड़प लेतें हैं लेकिन बतौर एक ट्रेनिंग टूल के बच्चों को तुरता (फौरी ,तात्कालिक )फैसला लेने का गुर भी सिखलाते रहतें हैं .एक नवीन अध्ययन का यही इशारा है ।
रोचेस्टर विश्वविद्यालय ,न्युयोर्क कैम्पस के कोगनिटिव साइंटिस्ट (संग्यानाताम्क विज्ञानी ,बोध -विद )कहतें हैं जो बच्चे एक्टिव वीडियो गेम्स में तल्लीन रहतें हैं वह अपने आसपास के परिवेश के बारे में ज्यादा सचेत ,ज्यादा चौकन्ने रहतें हैं .जल्दी फैसलापरिस्थिति के अनुरूप ले लेतें हैं ऐसे बच्चे ,ज्यादा संवेदी हो जातें हैं अपने परिवेश की बुनावट के प्रति .
रोजमर्रा में काम आने वाले हुनर का पाठभी ऐसे बच्चे स्वतय ही पढ़ सीख जातें हैं .
मंगलवार, 14 सितंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें