ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साइंसदानों के नेत्रित्व में एक अंतर -राष्ट्रीय टीम ने उस जीन की शिनाख्त कर ली है जिसके दोषपूर्ण होने पर मीग्रेंन भड़कता है .यह निष्कर्ष उन परिवारों के सदस्यों के डी एन ए साम्पिल्स का अध्ययन विश्लेषण करने के बाद निकाले गएँ हैं जिनमे यह रोग चला आया है .पता चला साड़ी गड़- बड़ इसी जीवन इकाई के दोषपूर्ण रह जाने से होती है .यही फाल्टी- जीन दिमाग में पैन नर्व्ज़ को ट्रिगर प्रदान करता है उत्तेजिन कर एड लगाता है .दर्द को उभारता है ।
पूर्व के अध्ययनों में डी एन ए के उस हिस्से का ही विश्लेषण अध्ययन किया गया था जो आम जनता में मीग्रेंन के जोखिम के वजन को बढाने वाला समझा गया था .लेकिन अब खासतौर पर उन जीवन इकाइयों की शिनाख्त की गई है ,रेखांकित किया गया है जो कोमन मीग्रेंन की वजह बनती है .यह भी पता चला है लोग इसके चंगुल में फंसते ही क्यों हैं और कब और किन मामलों में उनकी पीड़ा की वजह उनका परिवार बनतारहा है .
सवाल यह भी उभर कर आया हैदिमागी "पैन सेंटर्स "में मौजूद हमारी नर्व्ज़ कितनी संवेदी हैं ?कौन से" की -प्लेयर्स" हैं जो इस दर्द को भड़- काते हैं ,पैन नर्व्ज़ को उत्तेजन प्रदान करतें हैं ,इन सबकी बेहतर समझ रोग के बेहतर इलाज़ की नै दिशा और रण -नीति को रोशन करेगी .मीग्रेंन के साथ रहने वालों के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार आयेगा ऐसी उम्मीद की जा सकती है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में "डिस -एबिलिटी "(शारीरिक रूप से कमज़ोर और अशक्त होने )की यह एक बड़ी वजह बना हुआ है .न्युरोलोजिकल डिस -ऑर्डर्स में भी यही सबसे ज्यादा खर्चीला समझा गया है .खासकर योरोप के सन्दर्भ में तो ऐसा धडल्ले से कहा जा सकता है .
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