ऑन कार्ड्स :स्टंट्स देट डिलीवर ड्रग एंड दिज़ोल्व इन बॉडी (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,न्यूज़ -आइटम ,सन्डे टाइम्स फ्रंट पेज ,सितम्बर १९ ,२०१० ).
एक ऐसे धमनियों को खोलने वाले स्टंट के बारे में ज़रा सोचिये जो एक बार प्रत्यारोपित करने के बाद दो माह तक दवा छोड़ता रहेगा ,बंद धमनियों को ना सिर्फ ६ महीनो में पूरी तरह खोल देगा .,दो साल के अन्दर अन्दर शरीर में ज़ज्बहो जाएगा घुल जाएगा ।
भारत , १०० इंस्टिट्यूट,फाइनल स्टेजवाले एक ऐसे ग्लोबल ट्रायल का भागीदार बना हुआ है जो पहली मर्तबा मेटल के स्टंट्स की जगह दवा सने जैव -निम्नीकृत हो सकने वाले(बायो -डि -ग्रेडेबिल) इन उपायों को आजमा रहा है .
भारत की ओर से एस्कोर्ट्स हार्टरिसर्च इंस्टिट्यूट,नै दिल्ली ,अपोलो चेन्नई ,केयर हॉस्पिटल हैदराबाद ,मद्रास मेडिकल मिशन तथा एस ए एल (साल )अस्पताल एहमदाबाद इन जैव निम्नीकृत योग्य स्टंट्स को उन हृद रोगियों पर आजमाएंगें जो मल्तिपिल ब्लोकेड्स से ग्रस्त हैं .डबल या ट्रिपिल वेसिल डिजीज लिए बैठे हैं .एक साल तक नतीजों पर और उसके दो साल बाद तक पेशेंट्स की स्वास्थ्य लाभसम्बन्धी स्थिति का भी जायजा लिया जाता रहेगा .
डॉ अशोक सेठ चेयर मेन एस्कोर्ट्स हार्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, दिल्ली इस ट्रायल के भारत के लिए चीफ इन्वेस्टिगेटर बनाए गएँ हैं .इसमें ३० देशों के कुल मिलाकर १०० संस्थान शिरकत कर रहें हैं .
आपको बतलादें बंद या अन्दर से खुरदरी हो संकरी पड़ चुकी धमनियों को खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी से शुरू हुआ सिलसिला ,पहले मेटल स्टंट ,फिर दवा सने स्टंट्स से आगे निकल कर अब बायो -डि -ग्रेदिबिल स्टंट्स तक आ पहुंचा है .
रविवार, 19 सितंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें