क्लोरिन इन पूल्स पुट्स स्वीमर्स एट कैंसर रिस्क .(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर १४ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
सेंटर ऑफ़ रिसर्च इन एनवाय -रन -मेंटल एपी -डेमियो -लोजी ,बार्सिलोना (सी आर ई ए एल )तथा रिसर्च इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल डेल मर के रिसर्चरों ने क्लोरिनेतिद स्वीमिंग पूल में तैरने वाले लोगों के एक समूह में उनके डी एन ए में मुकम्मिल उत्परिवर्तन (परमानेंट म्यूटेशन )दर्ज़ किये हैं .इस स्थिति को म्युटा -जीने -सिटी कहा जाता है .
सी आर ए ए एल के अनुसार ४९ स्वस्थ बालिगों में तरन ताल में जिसके जल में डिस -इनफेक्तेंट (रोगाणु -नाशक पदार्थ के रूप में )बेहद क्लोरिन घुली हुई थी सिर्फ ४० मिनिट की तैराकी के बाद 'जीनो -टोक्सिक "प्रभाव देखे गये ।
इससे ऐसे संकेतकों का पता चला है ,जिससे कैंसर और सांस सम्बन्धीपरेशानियां (रिस -पाय -रेट -री समस्याएं )पैदा हो सकतीं हैं .यु एस जर्नल "एनवाय- रन- मेंटल हेल्थ पर्सपेक्तिव में इस शोध के नतीजे प्रकाशित हुए हैं ।
एनीमल स्टडीज़ में तरन ताल के जल में घुले कुछ रसायनों को दमा और ब्लेडर कैंसर को हवा देने वाला पाया गया है .क्लोरिन भी उन्हीं में से एक है अलबत्ता तैराकी के फायदे से इनकार नहीं किया जा सकता .क्लोरिन की मात्रा को घटाया जा सकता है ,बा -शर्ते तरन ताल के जल में उतरने से पहले लोग साबुन से मल- मल कर नहायें ,सिर पर टोपी लगायें तथा जल में "शु शु "करने युरिनेट करने से परहेज़ रखें .ऐसा रिसर्चरों का मानना है .
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