शनिवार, 25 सितंबर 2010

खासा ख़तरा है जवान दिलों को

यंग हार्ट्स इन पेरिल .इंडियंस इंदी ३०-४० एज ग्रुप हेव हाई कोलेस्ट्रोल लेविल :स्टडी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर २५ ,२०१० ,पृष्ठ १४ ,टाइम्स नेशन )।
बहु -राष्ट्रीय निगमों में कार्य- रत १००० मुलाज़िमों पर संपन्न एक अध्ययन से खुलासा हुआ है ,इनमे से एक चौथाई के परिवारों में हृद रोगों का पूर्व वृत्तांत ,फेमिली हिस्ट्री रही है ।
२५ फीसद का वजन आदर्श कद काठी से ज्यादा है ,ओवर वेट हैं ये लोग ।
व्यायाम से भी दूर रहतें हैं ।
चिकत्सकों के अनुसार एक तरफ स्ट्रेस (तनाव और दवाब कार्य स्थल जीवन स्थितियों का )और दूसरी तरफ बैठे बैठे काम करने की लाचारी या आदत हृद रोगों के बढ़ते दायरे की एहम वजहें हैं ।
यही वजह है , आज केवल उम्र दराज़ ,एल -डार्लि लोग ही नहीं अधिकाधिक ३०-४० साला लोग हृद रोगों की जद में आगये हैं ,रोग निदान से इसकी पुष्टि भी हुई है ।
.मेट्रो -पोलिस हेल्थ के -यर द्वारा विभिन्न शहरों के नागरिकों पर संपन्न एक सर्वेक्षण में जिसमे ३५,५०० लोगों की पड़ताल की गई पता चला ३० साल से ऊपर के लोगों के खून में घुली हुई चर्बी (कोलेस्ट्रोल )की मात्रा ज्यादा है ।
३०-४० साला अधिकाधिक लोगों में हालाकि हृद रोगों का बा -कायदा निदान भी हो चुका है ,फिरभी अधिकाँश लोग कार्डिएक चेक अप के लिए पहल नहीं करते हैं और ना ही यह मौजूद रिस्क्स फेक्टर्स के प्रति खबरदार हैं ना इनसे वाकिफ ।
जी ई ,हीरो -होंडा ,नेस्ले ,इफ्को ,अमरीकन एक्सप्रेस जैसी कंपनियों के तकरीबन १,००० लोगों पर संपन्न एक और सर्वे में मेक्स हेल्थ के -यर ने पता लगाया ,६३ फीसद लोग सोचतें हैं उनके हृद रोगों की जद में आने का कोई संभावित जोखिम नहीं हैं जबकि इनमे से एक चौथाई के परिवारों में हृद रोग चला आया है .
हालाकि सर्वे में २५ फीसद लोग ओवर वेट निकले लेकिन ये लोग फिर भी व्यायाम नहीं करतें हैं ,संतुलित खुराक भी नहीं ले रहें हैं ।
ज्यादातर धूम्रपान के खतरनाक प्रभावों से वाकिफ ही नहीं हैं (ये नहीं जानतें सब ऐबों का बाप है धूम्रपान जैसे डायबिटीज़ सब रोगों की माँ है ।).
तकरीबन ११ फीसद लोग ब्लड प्रेशर और ब्लड सुगर की जांच ही नहीं करवातें हैं ।
चिकित्सकों का साफ़ लफ्जों में कहना है दो टूक :बैठे बैठे काम करने की आदत ,कुल मिलाकर सिडेन -टरी लाइफ स्टाइल ,और दैनिकी में पसरी स्ट्रेस हृद रोगों के लिए कुसूरवार है .सबसे बड़ी कीमत जवान लोगों के दिल को ही चुकानी पड़ रही है घर- बाहर, कामकाज की जगह पर मौजूद स्ट्रेस की .

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