सर्न -कोलाई -डर ऑन वर्ज ऑफ़ रिवीलिंग हाव इट आल बिगेन (स्टार्ट -इड)/दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर २४ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )।
ऐसा प्रतीत होता है योरपीय न्यूक्लीयर रिसर्च सेंटर फेसिलिटी का "सर्न -कोलाई -डर "अल्पांश में ही सही ऐसा पदार्थ तैयार करलेने में कामयाब रहा है जैसा सृष्टि के आरंभिक चरण में मौजूद था .दस अरब डॉलर से तैयार की गई है यह "बिग -बैंग मशीन "महा -मशीन पार्टिकल कोलाई -डर "।
चंद हालिया प्रयोगों के नतीजों से साइंसदान बेहद की आस से भर गए जिसमे साधारण प्रोटानों का स्तेमाल किया गया इस "लार्ज हैड्रोंन कोलाई -डर में ।
एक नै किस्म की भौतिकी से जल्दी ही वाकिफ होने की उम्मीद की जा रही है क्योंकि अपेक्षाकृत प्रोटोन से भारी कणों की परस्पर टक्कर तकरीबन प्रकाश के वेग से जल्दी ही इस महा- मशीन में करवाई जायेगी .
नाभिकीय शोध के के इस योरपीय केंद्र में पहले ही रिसर्चर (सर्न ) तथा इसके दायरे के बाहर काम करने वाले अनेक साइंसदान ताज़े आंकड़ों से खासा उत्साहित हैं .उनके शब्दों में ऐसा प्रतीत होता है परस्पर टकराते कण वैसा ही अति -सघनऔर उत्तप्त पदार्थ (हॉट डेंस मैटर )बनाने में कामयाब हो रहें हैं जैसा उस महा -विस्फोट के सिर्फ माइक्रो -सेकिंड्स बाद पैदा हुआ होगा .यही कहीं वह कुंजी मौजूद है जिससे खबर होगी हमारी इस सृष्टि में ,इस कायनात में ठोस द्रव और गैसें कैसे अस्तित्व में आईं।
यू एस ब्रूकहवें नेशनल लेबोरेटरी में लार्ज स्ट्रक्चर्स के साथ पूर्व में किये गए प्रयोगों से वर्तमान प्रयोगों के नतीजों का एक सह -सम्बन्ध दिखलाई देता है .प्रोटोन की परस्पर ज़ोरदार टक्करों (प्रोटोन कोलिज़ंस में )भी कुछ ऐसे ही कण पैदा होते दिखतें हैं .जो पहले कभी भी अपने अस्तित्व की खबर नहीं दे सके थे .
राजू वेणुगोपालन बेशक इन आजमाइशी ट्रायल्स का हिस्सा नहीं रहे हैं लेकिन नतीजों से बेहद उल्लसित हैं .आप ब्रूकहवें के एक नाम- चीन साइंसदान हैं .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें