वोमेन एट हाई -रिस्क फॉर बी -१२ डेफिशियेंसी .एक्स -टेन -डिड यूज़ ऑफ़ ओरल कोंट्रा -सेप -टिव्ज़ पुट्स वोमेनएट ग्रेटर रिस्क ,सेज स्टडी (मुंबई मिरर ,सन -दे सितम्बर २६ ,२०१० ,पृष्ठ २५ ).
यदि आपको कभी ना उतरने वाली चिरकालिक (दीर्घावधिक )थकान बनी रहती है ,कब्ज़ी(कोंस्टी-पेशन ) ,यादाश्त ह्रास (मेमोरी लोस ),के अलावा आप नर्वस रहतें हैं /रहतीं हैं ,खून की कमी बनी रहती है ,अकसर आधी शीशी का पूरा सिर दर्द रहता है ,आप जल्दी चिड -चिड़े (खीझ )हो जातें हैं ,आप विटामिन बी -१२ की कमी से ग्रस्त हो सकतें हैं ।
विटामिन बी -१२ लाल रूधि कोशाओं (रेड ब्लड सेल्स )डी एन ए संस्लेषण ,ब्लड सेल्स की टूट फूट की मरम्मत करने के लिए ज़रूरी और एहम रहता है .महत्वपूर्ण बना रहता है .यहाँ तक की नर्वस सिसितम(हमारे स्नायुविक तंत्र )के ठीक से काम करते रहने के लिए भी यह ज़रूरी है .बढ़वार के लिए भी .
कमी बेशी की दो वजहें बनतीं हैं .या तो हमारा शरीर विटामिन बी -१२ ज़ज्ब ही नहीं कर पाता है या फिर या फिर हमारी खुराक में इसकी कमीबेशी बनी रहती है ।
अलावा इसके औरतों में इसकी कमी की लपेट मेंआने का ख़तरा अपेक्षाकृत कम उम्र में ही पैदा हो जाता है बरक्स मर्दों के .मेट्रो -पोलिस हेल्थ के-यार लिमिटिड द्वारा हाल ही में संपन्न एक सर्वे से पता चला एक साल के दरमियान जहां मर्द एब्नोर्मल विटामिन बी लेविल्स की गिरिफ्त में औसतन ४५ से ऊपर की उम्र में आये वहीँ औरतें १६ -४५ साल के दरमियान ही इसके असामान्य स्तर से ग्रस्त देखी गईं ।
२००९-२०१० तक यह अध्ययन ७६,०८७ मरीजों पर चला .पता चला इस विटामिन की कमी का अनुपात मर्दों और औरतों में एक और दो का देखा गया (वन इज टू )।
इसकी वजह चिकित्सक एक तरफ मॉल -एब्ज़ोर्प्शन सिंड्रोम को बतलाते ठ्हरातें हैं वहीँ शाका -हारी खुराक तथा महिलाओं द्वारा गर्भ निरोधी टिकिया का अकसर सेवन करना बतला रहें है .धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन इसकी और वजहें हैं ।
विटामिन बी -१२ के खुराख में शामिल रहते हुए भी ओरल कोंट्रा -सेप -टिव पिल्स कुछ हारमोंस का स्तर इस कद्र बढा देती हैं ,खुराक से बी -१२ की ज़ज्बी मुश्किल हो जाती है .अलावा इसके सिगरेट और शराब भी बी -१२ की ज़ज्बी को दुष्कर बना देतीं हैं .नतीजा होता है खून की कमी ,न्यूरो -लोजिकल डिस-ऑर्डर्स तथा दिल की बीमारियाँ .यही कहना है डॉ .निशा एहमद का .आप लेब सर्विसिज़ ,मेट्रो -पोलिस की मुखिया हैं ।
कैसे असर ग्रस्त करती है गर्भ -निरोधी टिकिया ?कैसे प्रभाव डालतीं हैं ?
उपरोक्त लक्षणों के संग (औरतें जो ओरल पिल्स का दीर्घावधि स्तेमाल करतीं हैं )उनमे सायलेंट किलर समझे जाने वाले आथिर -ओ-स्केल्रोसिस के खतरे का वजन भी बढ़ जाता है .जो स्ट्रोक बनके चुपके से आ जाता है .माहिरों के अनुसार शाकाहारी लोगों में बी -१२ की कमी के खतरे की प्रवृत्ति ज्यादा देखी जाती है .सामिष भोजियों के यह रुझान कम दिखलाई देता है ।
क्यों गंभीर है बी -१२ की कमीबेशी ?
इसकी कमी से ग्रस्त होने पर रेड ब्लड सेल्स का बनना कमतर हो जाता है जो तमाम शरीर की कोशाओं तथा ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचातीं हैं .
इलाज़ (ट्रीटमेंट )क्या है ?विटामिन बी -१२ के इंजेक्शन तथा संपूरक गोलियां दी जातीं हैं (ओरल पिल्स ,बी -१२ सप्लीमेंट्सकी ).
लक्षण क्या हैं बी -१२ की कमी के ?
चमड़ी का पीलापन (पेल स्किन ).कमजोरी महसूस होना ,थकान तथा लाईट -हेडिद रहना .यानी स्लाइतली दिज्ज़ी (चक्कर आना ),अति -उल्लास का महसूस होना बिना बात ,मूर्खता पूर्ण बचकाना हरकत करना .अतिसार (डायरिया )या फिर क्ब्ज़ी की शिकायत रहना .फील सिक टू योर स्टमक ,वेट लोस .सोर,रेड टंग या फिर मसूड़ों से खून आना (पायरिया ).
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें