ब्लोकेद की सीमा क्रान्त्तिक (क्रिटिकल )होने पर लाजिमी होता है धमनी को साफ़ करना ,खोलना .धमनी आंशिक या पूरी तरह अवरुद्ध हो सकती है .यांत्रिक तौर पर इसे चौड़ा किया जाता है .सीवर भी खोला ही जाता है ।
बस केथिटर में एक महीन तार पिरो दिया जाता है .इसे ही अवरोध तक पहुंचाया जाता है .इसे दिस्तलीपार्क करदिया जाता है .(डिस-टल्ली मीन्स लोकेतिद अवे फ्रॉम दी सेंटर ऑफ़ दी बॉडी और अट दी फार एंड ऑफ़ समथिंग .)।
इस तार के ऊपर बेलून केथिटर को पिरोया - जंचाया जाता है,थ्रेड किया जाता है ,और इसे अवरोध के सबसे निचले हिस्से तक ले जाकर पहले फुलाया जाता है और फिर डी -फ्लेट (पूर्व स्थिति में ले आना,जैसे गुब्बारे की हवा निकाल देना ) .कर दिया जाता है .दबा बुझा दिया जाता है .बारबार दबाने फुलाने से प्लाक हठ जाता है .और अब तक अवरुद्ध रहे आये दिल के हिस्से को फिर से पूरा खून पहुँचने लगता है ,रक्तापूर्ति होने लगती है .
सोमवार, 27 सितंबर 2010
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