माई -लिन को जो मल्टी -पिल स्केलेरोसिस में निशाने पर आजाता है "धवल -मज्जा -आच्छद"भी कहा जाता है .
माई -लिन इज ए कोम्प्लेक्स मेटीरियल फोर्म्द ऑफ़ प्रोटीन एंड फोस्फो -लिपिड देट इज लैड डाउन एज ए शीथ सराउंडिंग दी एक्जोंस ऑफ़ सर्टेन न्युरोंस ,नॉन एज माई -ली -नेटिद नर्व फाइबर्स ।
माई -लि -ने -टिड नर्व्ज़ कंडक्ट इम्पल्ज़िज़ मोर रेपिडली देन नॉन -माई -ली -नेटिद नर्व्ज़ .
मल्टी- पिल स्केलेरोसिस :यह एक केन्द्रीय स्नायुविक तंत्र (सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम ) का लाइलाज ,क्रोनिक (दीर्घ- कालिक ) रोग है जो अपेक्षाकृत युवजनों और अधेड़ उम्र के लोगों को अपना निशाना बनाता है .इस रोग में हमारे दिमाग में तथा स्पाइनल कोर्ड में नर्व्ज़ के एक वसीय पदार्थ के खोल को छलनी करके नष्ट कर देता है .माई -लिन आवरण के नष्ट हो जाने से न्यूरोन -न्यूरोन संवाद भी छीजता चला जाता है .क्यिंकि नसों पर चढ़े आवरण के नष्ट होने से नसें भी तो असर ग्रस्त हो जातीं हैं .बीच बीच में रोग शमन के दौर भी आतें हैं लेकिन रोग बार बार लौट आता है .लेकिन एक खासा तादाद ऐसे लोगों की रहती है जिनमे यह दीर्घकाल दिनानुदिन बढ़ता ही चला जाता है.दिमाग के अलग अलग हिस्सों तथा रीढ़ रज्जू को यह रोग असर ग्रस्त करता है .ऐसे में लक्षण भी बिखरेबिखरे रहतें हैं .अंग संचालन में अस्थिरता ,ठवन (गैट) का बिगड़ जाना ,आँखों असामान्य संचालन ,एब्नोर्मल मूवमेंट (निस्टाग -मस एंड इंटर -न्यूक्लीयर ओप्थेल्मो -प्लीज़िया )आदि इसके अन४एक लक्षण हैं .अलावा इसके सम्भासन का गड़ -बड़ा -ना
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