जनरल वी. के . सिंह ने जो कहा है सोच समझकर अपने पूरे होशो -हवास में कहा है :आर्म्ड फोर्सिज़ स्पेशल पावर्स एक्ट में जो लोग कटौती चाहतें हैं वह ऐसा बहुत ही संकीर्ण और तुच्छ राजनितिक लाभ के तहत कर रहें हैं ।
एयर चीफ मार्शल पी वी नायक साहिब ने भी दो टूक कहा है :एक सिपाही को जो अपना कर्तव्य दिलो जान से निभा रहा है, हर संभव वैधानिक कवच मिलना ही चाहिए ।
प्रति -रक्षा सेवायें बे -शक सिर्फ राजनितिक आदेश ही लेती आईं हैं और फक्र से कहतें हैं ये लोग :वी टेक ओनली ऑर्डर्स।
लेकिन अब जबकि पानी सिर से ऊपर गुज़रचुका है चुप बैठना मुमकिन ही नहीं रह गया है इस मोड़ पर छोटी सी चूक भारत राष्ट्र राज्य को विखंडित कर सकती है .हमारे उम्र अब्दुल्लाओं को समझना होगा सेना रक्षक है .असली दुश्मन कश्मीरी जमात -ए -इस्लाम है .इस देश का अन्न सटकने वाले गीलानी है ।उनके पाकिस्तानी आका हैं .
राहुल बाबा '"अफ्स्पा "आर्म्ड फोर्सिज़ स्पेशल पावर्स एक्ट की पेचीदगियों से वाकिफ नहीं हैं .वह यूथ कोंग्रेस को मज़बूत कर रहें हैं .मन मोहन सिंह जी का काम पी एम् की सीट को गर्म किये रखना है बाबा के लिए .ये ही" उनकी "मनमोहना जी की ,सीमा है .संभावना कभी कोई थी ही नहीं उनकी ,ना है .ऐसे राहुल बाबा को बेशक इस देश का कभी भी प्रधान मत्री बना दीजिये लेकिन सेना को तो बख्शिए जो सदैव ही जान हथेली पर लिए खड़ी रही है देश के लिए .क्या हुआ इस देश की गवर्नेंस का ,शाशन के आदेश को ,नियम कायदे कानूनों को लागू करने करवाने की राजनीतिकों को आदत ही नहीं रही .उम्र अब्दुल्ला किसके दिमाग से सोच रहें हैं .किसने उनका टेंटुआ पकड़ा हुआ है बतलाते क्यों नहीं ,सेना को क्यों निशाँने पे लिए बैठें हैं ?कृपया बाप - बेटे बतलाएं ?हमें बुरा नहीं लगेगा .क्यों कटौती होनी चाहिए "अफ्स्पा "में ?सेना भारत की दोश्त है या दुश्मन ?
रविवार, 19 सितंबर 2010
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1 टिप्पणी:
काश्मीर की स्थिति देख कर मुंह का स्वाद कसैला हो जाता है ... स्थितियां ऐसी बनती दिख रही हैं कि अगर पूरी संजीदगी से कदम नहीं उठाये गए तो वो दिन दूर नहीं कि हम काश्मीर को खो देंगे... ज़रूरत है कि आस्तीन के सांपो को पहचाना जाए
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