रविवार, 26 सितंबर 2010

विश्व -ह्रदय दिवस के मौके पर कुछ बात दिलों की,दिल के मामलों की हो जाए

वर्ल्ड हार्ट डे स्पेशल (ए कंज्यूमर कनेक्ट इनिशिएटिव ,डॉ .पारुल आर सेठ ,मुंबई मिरर ,सन्डे ,सितम्बर २६ ,२०१० ,पृष्ठ ३३ )।
बेशक दिल के लिए कुछ जोखिम बने रहतें हैं जिनका वक्त रहते वक्त बे -वक्त जायजा लेकर हृद रोगों से अपेक्षाकृत बचे भी रहा जा सकता है ।
आपकी उम्र ,वंशावली का हृद रोग सम्बन्धी पूर्व वृतान्त (फेमिलियल हिस्ट्री ),हाई -ब्लड प्रेशर ,हाई बेड कोलेस्ट्रोल (खून में घुली एल डी एल चर्बी और ट्राई -ग्लीस -राइड्स की बेहिसाब मात्रा ),ब्लड सुगर लेविल्स ,आपकी कद काठी (हाईट ),वेस्ट तू हिप रेशियो ,एब्डोमिनल ओबेसिटी आदि ऐसे रिस्क फेक्टर्स है जिनके प्रति सचेत रहकर हृद रोगों को मुल्तवी रखा जा सकता है .स्ट्रोक (सेरिब्रल वैस्क्युलर एक्सिदेंट्स )से भी समय रहते बचा जा सकता है ।
इन दोनों ही वजहों से (हार्ट दिजीज़िज़ तथा स्ट्रोक्स )से दुनिया भर में हर साल एक करोड़ पिचहत्तर लाख लोग शरीर छोड़ जातें हैं .इतने ही लोग कुल मिलाकर इस दौर की अन्य बीमारियों से यानी एच डायबिटीज वी -एड्स ,मलेरिया ,daay -biteez ,tamaam tarh ke kainsars aur saans sambndhi bimaariyon ki bhaint chdhten hain .

vishv -svaasthay sangathhan ke ek anumaan ke mutaabik 2025 tak duniyaa bhar me har teesraa aadmi doosre shbdon me takreeban dedh arab log 25 saal se oopar ki umr ke bld preshar ki shikaayat se grst rhne lagengen jo hrid rogon aur strok kaa ek sabse bdaa gyaat risk fektar siddh huaa hai .(zaari )

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