ए टेस्ट देट डायग्नोज़इज टी बी इन जस्ट एन आवर (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर ,१६ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
ब्रितानी हेल्थ प्रोटेक्सन एजेंसी के साइंसदानों ने तपेदिक के निदान (पुख्ता डायग्नोसिस )के लिए एक ऐसा अल्ट्रा रेपिड परिक्षण ईजाद कर लिया है जो ट्यूबर -कुलोसिस(तपेदिक ) क्लिनिक पर आये संभावित मरीज़ में रोग निदान पक्का करके ज़रुरत के मुताबिक़ तुरता इलाज़ भी शुरू करदेगा .इसका सबसे ज्यादा फायदा घुमंतू किस्म के समुदायों को होगा जो एक जगह पर कम ही समय के लिए टिकटें हैं .रोग का फैलाव प्रभावी ढंग से रुकेगा ।
यह अति संवेदी परीक्षण टी बी बेक्तीरियम में बस एक "डी एन ए" अणु की शिनाख्त (पहचान )पर आधारित है .पूर्व में कोई एक पखवाड़ा पहले अमरीकी साइंसदानों ने भी यह दावा किया था जेनेटिक मार्कर्स पर आधारित एकतपेदिक के " रोग निदान" की टेक्नीक उन्होंने भी ईजाद कर ली है .
रोग निदान के परंपरा गत तरीके में रोग निदान पुख्ता होने में ८ सप्ताह तक लग जातें हैं .ऐसे घुमंतू वर्ग रोग लिए आगे बढ़ जाता है और रोग चुपके चुपके प्रसार पाता रहता है .
अध्ययन के अगुवा हेल्थ प्रोटेक्सन एजेंसी के कैथ अर्नोल्ड रहें हैं .
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