मंगलवार, 21 सितंबर 2010

ड़ी -टोक्स फूड्स का मिथ (ज़ारी .)..

ड़ी -टोक्स करने से पहले अपने मन को जान लें ,मानसिक अवस्था से वाकिफ होलें .नींद कितनी लेतें हैं आप ,कसरत कितना करतें हैं ,क्या कुछ आपकी खुराक में बतौर खाद्य शामिल रहा आया है ?कहीं आपको लगता है आपका व्यवहार खुद के प्रति ,शरीर की zarooriyaat के प्रति gair जिम्मेदाराना रहा है ?तीज त्यौहार ,छुट्टी बेशाख्ता खाने में बिताने , मनाने के बाद, आप डी -टोक्स का सोच रहें हैं ?क्या अब कोई हीन भावना ,कोई शर्मो -हया आपका पीछा कर रही है ?क्या आप डी -टोक्स के बाद gt mahine kharidi apni nai jeens में fit hone का सोच रहें हैं ?और अपनी दुर्दशा करने के लिए तैयार हैं ?
सलाद डेज़र्ट ब्युफे के झांसे से बाहर निकलने के लिए इन सवालों के ज़वाब मुल्तवी रखना मुमकिन नहीं है .क्या अपने शरीर को साफ़ सफाई से रखना क्लीन रखना आपका फ़र्ज़ नहीं है ?इसी तरह सेघर गली का कचरा नगर निगम की वेस्ट बिन्स में डालिए गली में मत फैलाइये .नेताओं का भरोसा झांसे से भी आगे की चीज़ है ।
डी -टोक्स का अब एक ही मतलब रह गया है ,किसी भी वहम में मत रहना :फीस्टिंग एंड फास्टिंग या फिर स्टार्विंग (पहले भूखों रहनाफिर )ठूँसा- ठांस, बिंज ईटिंग्स ,खाने पे टूटना ।
सो नो देट

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