शनिवार, 11 सितंबर 2010

गुर्दा रोगों से ग्रस्त मरीजों का एम् आर आई करने से पहले

ड्रग्स यूज्ड इन इमेजिंग हेव डेडली साइड इफेक्ट्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया,मुंबई ,सितम्बर ११ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
संघीय स्वास्थ्य विनियामक (फेडरल हेल्थ रेग्युलेटर्स )बराबर चिकत्सकों को चेता रहें हैं गुर्दा रोगों से ग्रस्त लोगों का मेडिकल इमेजिंग करने से पहले कुछ दवाओं की सुइंयाँ लगा ना घातक सिद्ध हो सकता है .ज़रूरी एहतियात बरतने की ज़रुरत है . अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था (ऍफ़ डी ए ) ऐसी तमाम दवाओं पर जो इमेजिंग एजेंट्स के रूप मेस्तेमाल होतीं हैं सख्त चेतावनी अंकित करने जा रही है .ऐसे इमेजिंग एजेंट्स में रसायन गदोलिनियम प्रमुख है .किडनी के मरीजों के मामले में इमेजिंग से पूर्व इसको इंजेक्ट करना खासा खतरनाक यहाँ तक की जान लेवा भी साबित हो सकता है ।
इन चेतावनियों का मकसद इन दवाओं का युक्तियुक्त स्तेमाल का विनियमन करना है ।
इन दवाओं के स्तेमाल से एक अति विरल सिंड्रोम का जोखिम पैदा हो जाता है जिसमे चमड़ी कठोर पड़ जाती है .अलावा इसके ऊतक जोड़ों के गिर्द बढ़ने लगतें हैं .आँखों और आंतरिक अंगों के गिर्द भी ऊतक बढ़वार होने लगती है ।
इस घातक स्थिति को नेफ्रोजेनिक फाइबरो -जिंग डर्मो -पैथी कहा जाता है .जिन लोगों की किडनी ठीक से काम नहीं करती उनमे से कई में इस बीमारी को देखा गया है .ट्रिग्गर रहा है इमेजिंग से पहले लगाए जाने वाले कुछ केमिकल एजेंट्स के टीके.

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