आई वी ऍफ़ कैन आल्टर जेंडर बेलेंस ?सम फर्टी -लाइ -जेशन मेथड्स रिज़ल्ट -इड इन मोर मेल बेबीज़ ,फाइंड्स स्टडी .मोर बोइज सीम्ड टू रिज़ल्ट फ्रॉम एम्ब -रियोज देट वर ट्रांस -फर्ड ४ डेज़ आफ्टर फर्टी -लाइ -जेशन (५४.१%)कम्पे -यार्ड टू २-३ डेज़ आफ्टर फर्टी -लाइ -जेशन(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर ३० ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ी -लैंड में संपन्न एक खासे बड़े अध्ययन से पता चला है अस्सितिद फर्टी -लाइ -जेशन की कुछ ख़ास पद्धति भी लड़कियों के बरक्स ज्यादा लडके पैदा करने की वजह बन सकती है और इस प्रकार अनजाने ही एक लिंग - वैषम्य, लडका -लडकी, अनुपात को जो पहले ही भारत और चीन जैसे मुल्कों में विषम बना हुआ है और भी विषमतर हो सकता है ।
न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ वोमेन्स एंड चिल्ड -रेन्स हेल्थ के रिसर्चरों ने अध्ययन के को -ऑथर जीशान डें के नेत्रित्व में ऐसे १३,१६५ सेम्पिल्स का अध्ययन किया है जिन्होंने इन -वीट्रो -फर्टी -लाइ -जेशन का सहारा लिया .उन महिलाओं ने ५३ %लडकों को जन्म दिया जिन्हें स्टेंडर्ड आई वी ऍफ़ दिया गया .जबकि इंट्रा -साइटों -प्लाज्मिक -स्पर्म इंजेक्शन लेने वाली महिलाओं में से ५० फीसद नेही लडकों को जन्म दिया ।
इंट्रा -साइटों -प्लाज्मिक -स्पर्म इंजेक्शन सीधे सीधे ह्यूमेन एग में उन मामलों में दिया जाता है जब स्पर्म की "मोटि -लिटी"ना के बराबर रहती है ।
व्हेन ए स्पर्म सेल इज नोट बींग एबिल टू मूव स्पोन -टेनिअसली विद आउट एक्सटर्नल एड इट इज काल्ड मोटाइल।
स्टेंडर्ड आई वी ऍफ़ में स्पर्म और ह्यूमेन एग को साथ साथ इन्क्युबेट किया जाताहै एक कल्चर माद्ध्यम में. १८ घंटो के अन्दर अमूमन एग फर्टी -लाइज्द भी हो जाता है .अब यदि इसे चौथे दिन गर्भाशय में इम्प्लांट किया जाता है तब लडके ज्यादा पैदा होते देखे गए (५४.१%)जबकि २-३ दिन बात ट्रांस -प्लांट करने पर ४९.९ फीसद ही लडके पैदा होते देखे गए ।
कालान्तर में इससे खासा अंतर पड़ गया है .बेशक ऐसा अनजाने में ही हुआ है लेकिन केस स्टडी पर गौर किया जाना चाहिए .
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