रुक कर किसी की चोरी छिपे बात सुनना ज्यादा ध्यान भंग करता है खासकर बातचीत जब दूरभाष (दूरध्वनी ) पर चल रही हो और लेदेकर आप एक पक्ष की बात ही वह भी आधी अधूरी ही सुन पारहें हैं ,खड़े खड़े चोरी चोरी कनसुई ले रहें हैं .
कोर्नेल विश्वविद्यालय की साइंसदान लौरें एम्बेरसों (पी एच डी छात्रा )कहतीं हैं अकसर यूनिवर्सिटी आते वक्त जब मेरे कानों में सेल फोन पर की जाने वालीकिसी की आधी अधूरी बात पडती थी (हाल्फ -लोग यानी हाल्फ डाय -लाग )कहना पसंद करतीं हैं एम्बेरसों इसे .)मैं पढ़ नहं पाती थी जबकि पढना मेरा बेहद का शौक है .ऐसा लगता है ज्यादा गड़बड़ी पैदा करती है एक पक्षीय सुनी हुई अधूरी बात ,कान खड़े हो जातें हैं दिमाग चौकन्ना (पढ़ लो बेटा क्या पढोगे ऐसे में )।
इसकी आज़माइश के लिए आपने २४ छात्रों को चुना .इन्हें ऐसा काम करने के लिए दिया गया जो पूरा ध्यान लगाना माँगता है ,विशेष तवज्जो की दरकार रहती है जिस टास्क को पूरा करने के लिए ,वही इनपर आजमाई गई .पृष्ठ भूमि में बारी बारी से तरह तरह की आवाजें (नोइज़ ),रिकोर्डिद बातचीत ,आधी अधूरी एक पक्षीय बात (हाल्फ -लाग ) ,एक हीव्यक्ति का लम्बा संभाषण,एकालाप ,स्वगत भाषण ,स्वगत कथन (मोनोलोग ),चलता रहा .बीच बीच में मौन भी रचा गया .कोई विक्षोभ (डिस -तर्बेंस )नहीं .अब देखिये क्या होता है ?
मोनोलोग और दो -पक्षीय बातचीत से स्वयंसेवी ज्यादा डिस -तर्ब्द ,नहीं हुए उतना ध्यान भग नहीं हुआ इनका जितना हाल्फ -लाग ने कर दिखाया .हाल्फ लाग का विघ्न रूप में ज्यादा प्रभाव पड़ा .ज्यादा गलतियां हुईं इस दरमियान काम के निपटारे में ।
दरअसल इसकी वजह यह है बातचीत का कयास लगाया जा सकता है,एकालाप तो स्टष्ट ही होता है , एक पक्षीय अधूरे सम्वाद का नहीं इसीलिए दिमाग पर ज्यादा जोर पड़ता है ,दिमागी प्रतिक्रया बे -काबू हो जाती है नतीज़न ध्यान एक दम से भंग हो जाता है .
बुधवार, 29 सितंबर 2010
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