एवरी इंच ऑन वेस्ट अप्स चान्सिज़ ऑफ़ बाउअल कैंसर (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर १४ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
इम्पीरियल कोलिज लन्दनतथा लीड्स विश्ववद्यालय के माहिरों के अनुसार कद काठी के अनुरूप एक आदर्श वेस्ट लाइन के ऊपर हरेक इंच की बढ़ोतरी (तोंद का बाहर निकलना )के लिए बड़ी -आंत कैंसर के खतरे को ३%के हिसाब से बढ़ा देता है .
औरतों के लिए एक हेल्दी वेस्ट ३१.५ इंच तथा गोरे और काले मर्दों के लिए ३७ इंच से कम समझी जाती है .जबकि एशियाई मर्दों के लिए इसका माप ३५ इंच से नीचे रहना निरापद माना गया है .इसमें औसत हाईट ,बॉडी मॉस इंडेक्स आदि को भी आकलन में शामिल किया गया है .आखिर अलग अलग एथनिक समूह अलग अलग कद काठी लिए होतें हैं .सब को एक लाठी से कहाँ हांका जा सकता है .
रिसर्चरों ने सात रिसर्चिज़ के पुनर -अवलोकन विश्लेषण के बाद के बाद यह निष्कर्ष निकाले हैं सभी अध्ययनों में टमी-फैट को बाउअल कैंसर के लिए कुसूरवार ठहराया गया है .एक बेहद का रिस्क फेक्टर बतलाया गया है .जो खतरे की पहले से ही घंटी बजाने की तरह हैं .प्रागुक्ति भी है .इत्तला भी है .भैया आल इज नॉट वेळ ।
यहाँ तक के पतले छरहरे लोगों में भी वेस्ट बढना खतरे की घंटी बतलाया गया है ,भले ही उनका वजन भी सामान्य ही हो .
सन्देश साफ़ है :एब्डोमिनल फैट -नेस की अनदेखी नहीं करनी है .
भलेही आपका वेट कद काठी के अनुरूप एक नोर्मल रेंज में ही क्यों ना हो .ओवर वेट होना इसी किस्म के कैंसर के लिए जोखिम को बढ़ा देता है ।
अलबत्ता टमी फैट से कैसे बचा जाए इसके लिए अभी और शोध कार्य करने की ज़रुरत है .
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