एन-जाईना की वजह का पता लगाने के लिए एंजियो -ग्राफी की जाती है .कैथ लेब(केथे -टी -राइज़ेशन -लेब ) यह परीक्षण किया जाता है .यह परीक्षण पिन पॉइंट करताहै कहाँ कहाँ कितना ब्लोकेड है ,कितनी धमनिया आंशिक या पूरी तरह अवरुद्ध हो चुकीं हैं .बायाँ वेंट्रिकल(ह्रदय में नीचे के दो छिद्रों में से एक ,छिद्र यानी निलय ) कैसे काम कर रहा है अवरोध की गंभीरता से यह भी जायज़ा लिया जाता है .ज़रुरत पड़ने पर एंजियो -प्लास्टी भी की जाती है .जिसकी चर्चा हम आगे करेंगें ।
एंजियो -ग्राफी में एक महीन( केश- नलीसी ) ट्यूब केथिटर ग्रोइन (उरू -मूल ,शरीर का वह भाग जहां टांगें मिलतीं हैं ,जांघ या जघ्न -प्रदेश )या बाजू की धमनी से पिरोया जाता है .ऐसा लोकल एनेस्थीज़िया देने के बाद (आम तौर पर एक सुईं से एनेस्थेटिक दिया जाता है ग्रोइन में )किया जाता है .अब एक एक्स -रे कंट्रास्ट डाई इंजेक्ट की जाती है केथेटर से होकर हार्ट तक पहुँचती है यह .अब ब्लड वेसिल्स का एक्स -रे उतारा जाता है .जो दिल का पूरा हाल परिह्रिदय धमनियों के अन्दर क्या हो रहा है इसकी खबर देता है .बस यही है रोग निदान की यह टेक्नीक जिसके अनेक रूप प्रचलित हैं :मेग्नेटिक रेजोनेंस एन्जियोग्रेफी ,कम्प्युट -राइज्द टोमो -ग्रेफिक - एंजियो -ग्राफी ,फ्लोर्रिसीन एंजियो -ग्रेफ़ी .(आखिर वाली एंजियो -ग्रेफ़ी का स्तेमाल नेत्र -विज्ञानी करतें हैं .).
सोमवार, 27 सितंबर 2010
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