बियोंड केलोरीज़ .सुगर ड़ेमेजिज़ मेटाबोलिज्म टू(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर १५ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )।
विशेष :यकीं मानिए हमने तकरीबन दो बरसों तक चीनी को हाथ नहीं लगाया । वजह हमने कहीं पढलिया था :चीनी खुराक में से पोषक तत्वों को नष्ट कर देती है .आज फिर वही फैसला ले लिया है .चीनी बंद. क्यों ?आप भी पढ़िए :
जितना हम समझते सुनते आये थे चीनी उससे कहीं ज्यादा हमारे स्वास्थ्य को नुक्सान पहुंचाती है .ना सिर्फ यह दांतों की सड़न पैदा करती है ,जंघाओं को भी मांसल बना देती है चर्बी का अस्तर चढाकर .इतना ही नहीं चीनी तबाही की हद तक चय -अपचयन यानी हमारी मेटाबोलिज्म को भी खतरनाक तरीके से बदल देती है ।
कुसूर वार है "फ्रक्टोज"जो टेबिल सुगर (सिम्पिल सुगर )का मुख्य घटक है .कुसूरवार है हाई -फ्रक्टोज कोर्न सीरप,फ्रूट, यही हमारी कोशाओं में दाखिल होकर चय -अपचयन को तबदील करदेता है आल्टर कर देता है ।
नए अन्वेषण यह समझने बूझने में भी मददगार होंगें ,किस प्रकार मीठे खाद्यों का बेहद का सेवन मोटापा ,हृद -रोगों ,उच्च रक्त चाप (हाई -पर -टेंशन या हाई -ब्लड प्रेशर ),डायबिटीज़ आदि को भी हवा दे रहा है .सवाल यहाँ चीनी में मौजूद एम्प्टी केलोरीज़ तक सीमित नहीं है .चीनी के नुक्सानात दूर तक जातें हैं ।
विकासात्मक वजह रही आई हैं चीनी पर हमारी निर्भरता की ।
लाखों बरस पहले हमारे एप पूर्वजों ने ऐसे म्यूटे -शंस दर्ज़ किये (ऐसे उत्परिवर्तन पैदा कर लिए विकासक्रम में ) जिससे वह फ्रक्टोज से वसा प्राप्त करने लगे यानी चीनी खाने से चर्बी चढने लगी .विकासात्मक ज़रूरतें और हालात ही ऐसे पैदा हो गये .फल फूल उड़ाने के बाद गैर -फसली सीजन में ये बेचारे करते भी क्या ?म्यूटे -शंस ने इनका साथ दिया .ऑफ़ सीज़न के लिए इनका शरीर चर्बी जुटाने लगा .(माइग्रेटरी बर्ड्स भी तो ऐसा ही करतीं हैं ,मीलों लम्बे सफर में शरीर में जमा चर्बी ही केलोरीज़ मुहैया करवाती है ।).नै शोध से इस तथ्य की पुष्टि हुई है ।उस समय के लिए यही श्रेष्ठ था हितकारी था ।
आज इन्तहा हो गई है फ्रक्टोज - सनी खुराक हमारे स्वास्थ्य को घुन लगा रही है .यह कहना है रिचर्ड जोहन्सन का .आप गुर्दा रोगों के प्रभाग और हाई -पर -टेंसन डिविजन के मुखिया हैं कोलोराडो विश्वविद्यालय ,डेनवर में .आपने ही लिखी है मशहूर किताब "दी सुगर फिक्स :दी हाई -फ्रक्टोज फाल आउट देट इज मेकिंग यु फैट एंड सिक "।
ध्यान रहे सुगर और हाई -फ्रक्टोज कोर्न सीरप समान रूप से सेहत के दुश्मन हैं क्योंकि दोनों में ही फ्रक्टोज का का हिस्सा बराबर है ।
अब से डेढ़ करोड़ बरस पहले संपन्न हुआ म्युटेसन ही आजभी हमारे मोटे होने की वजह बना हुआ है .बकौल डिस्कवरी चैनल इसका मतलब यह नहीं है हर किसी को डायबिटीज़ आ घेरेगी .सभी ओबेसी हो जायेंगें .लेकिन इतना ज़रूर है सभी स्तनपाइयों में हम( सुगर के प्रति )मुटियाने के प्रति संवेदी हैं .जोहन्सन ने यही सब कहा है डिस्कवरी चैनल के मार्फ़त .
नवीन अध्ययन में रिसर्चरों ने एक ऐसे म्युटेसन का पता लगाया है जो इस बात को असर ग्रस्त करती है, हमारा शरीर यूरिक एसिड से कैसे पेश आये .हम जानते हैं यूरिक एसिड एक आम उप - उत्पाद(बाई -प्रोडक्ट ) है मेटाबोलिज्म का . भूखों मरते थे हम जब यह उत्परिवर्तन पैदा हुआ था .इसी उत्परिवर्तन ने इस बात को बढ़ावा दिया हमारा शरीर फ्रक्टोज खाने के बाद कितना यूरिक एसिड बनाए .और यह भी ,कितने समय तक यह उसी स्तर पर बना रहे . लेकिन आज चीनी खाना ज़बान का रस है .स्वाद भर हैं .पोषक तत्व तो वैसे ही नदारद हैं चीनी में .
बुधवार, 15 सितंबर 2010
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