काम- काजी जगह का चंगापन(वेलनेस )यही है प्रति -पाद्य (विषय वस्तु) इस बरस वर्ल्ड हार्ट -डे का .कामकाजी जगह के तंदरुस्त माहौल से जुडी है हमारे दैनिक व्यवहार की नव्ज़.एक आदर्श काम- काजी स्थल (कार्य- स्थल)हृद रोगों और सेरिब्रल वैस्क्युँलर एक्सिदेंट्स से बचे रहने के लिए कितना ज़रूरी है यही है इस बरस का विमर्श ।
आखिर मुलाज़िमों की सेहत से ही जुडी हैकिसी भी व्यवसाय(बिजनिस हाउस )की नव्ज़ .इसे कई ने इस दौर में पहचाना है और अपने कोर्पोरेट एजेंडा में इसे जगह दी है .आखिर काम करने की जगह किसी एक आदमी के बनाए तो अच्छी होगी नहीं तमाम मुलाज़िमों का अपना अपना योगदान भी उतना ही ज़रूरी है . हार्ट हेल्दी हेबिट्स मुलाज़िमों की मार्फ़त हीउनके घर दुआरे,मित्रों तक पहुंचेंगी ऐसा माना समझा जा सकता है .
आइये आंकड़ों की जुबानी परिदृश्य पर एक निगाह डाली जाए .फिलवक्त दुनिया भर में ४० करोड़ लोग ओबेसी हैं (मोटापा -रोग सेग्र्स्त हैं .).१.६ अरब का वेट आदर्श कद काठी से ज्यादा है (ओवरवेट हैं ये लोग ,इनका वजन आदर्श भार के १२० फीसद से भी ज्यादा है .).बच्चे भी मोटापे की जद में आरहें हैं .दुनियाभर में कुलमिलाकर १५.५ करोड़ बच्चे ओवरवेट हैं ।३-४.५ करोड़ मोटापा -रोग से ग्रस्त हैं .ओबेसी हैं .
कई विकाश -शील देश एक साथ कुपोषण और मोटापे की मार झेल रहें हैं .संतृप्त और ट्रांस -फैट्स (कथित हाइड्रो -जिनेतिद वानस्पतिक तेलों से तैयार खाद्य ) सनी खुराक इसकी लगातार वजह बनी हुई है .नतीजा है एब्नोर्मल ब्लड लिपिड्स (हाई -बेड- ब्लड कोलेस्ट्रोल .हाई -ट्राई -ग्लीस -राइड्स )।
दिल की सेहत के लिए ताज़े फलों और तरकारियों का सेवनखुराक में ज़रूरी है .दुनिया भर में फल और तरकारियों का कमतर सेवन कमसे कम २० फीसद हृद -वाहिकीय रोगों की वजह बना हुआ है .हाई -पर -टेंशन प्रबल ट्रिगर (एक बड़ा जोखिम )बना हुआ है कार्डियो -वैस्क्युलर डी -जीज़िज़ के लिए .सोडियम बहुल खुराक इसे लगातार बढा रही है .केवल एक ग्रेम खुराकी सोडियम को कम करके (तीन ग्रेम प्रति -दिन पर टिके रहकर )हाई -पर -टेंशन के मामलों को ५० फीसद कम किया जा सकता है ,ऐसे मामले जिन्हें इलाज़ की ज़रुरत है ,हाई -पर -टेंशन के प्रबंधन की दरकार है ।
दिन भर में पी जाने वालीकुल बीडी सिगरेट के अनुरूप ही रोज़ -बा -रोज़ बढ़ता ख़तरा धूम्र्पानियों के लिए मौत के जोखिम को नॉन -स्मोकर्स के बरक्स दोगुना करदेता है .(एक अधययन )।
बैठे ठाले एक निष्क्रिय भौतिक दैनिकी में हम अपने लिए हृद रोगों से पीड़ित होने का ख़तरा डेढ़ गुना बढा लेतें हैं .तथा जीवन शैली से पैदा होने वाली सेकेंडरी डाय -बिटीज़ के खतरे का वजन दोगुना कर लेतें हैं .
दुनिया भर केएक चौथाई किशोर- वय, धूम्र -पानी अपनी पहली सिगरेट दस साल की छोटी उम्र में ही सुलगा लेतें हैं .अब यदि यह लत बरकारार रहे आती है तब इनमे से आधे बच्चे धूम्र -पान से पैदा रोगों की वजह से ही मर जातें हैं .(ज़ारी ....)
सन्दर्भ- सामिग्री :-टाइम्स .कोम /वर्ल्ड हार्ट डे /वर्क प्लेस वेलनेस /सन्डे टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर २६ ,२०१० ,पृष्ठ ०६ ).
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