ब्रितानी साइंसदानों ने एक ऐसा ब्लड टेस्ट ईजाद किया है जो दस बरस पहले ही डायबिटीज़ के होने वाले बेहद के खतरे को भांप लेता है .रोग की रोग से बहुत पहले ही प्रागुक्ति कर देता है ताकि बचावी उपाय अपनाए जा सकें .
किंग्स कोलिज लन्दन केसाइंसदानों की एक टीम के मुताबिक़ इस रक्त परीक्षण से तकरीबन आधे लोगों में सेकेंडरी डायबिटीज़ के आगे चलकर होने का पता पहले से ही चल जाता है .इतना ही नहीं पता यह भी लगा लिया जाता है इनमे से कितनो को डायबिटीज़ सम्बन्धी पैचीलापन यथा हृद रोग स्ट्रोक तथा पूअर - सर्क्युलेसन सम्बन्धी परेशानियां आड़े आ सकतीं हैं .ब्लड सुगर कंडीशन सारा बना बनाया खेल बिगाड़ सकती है ।
इस परीक्षण का आधार एक जेनेटिक मोलिक्युल बनता है .सम्बंधित व्यक्ति के रक्त में इसी आनुवंशिक अणुकी पड़ताल की जाती है .यह वही "माइक्रो -आर एन ए "अणु है जो रोगियों में हृद और परिह्रिदय रोगों के बढे हुए खतरे को रेखांकित कर देता है .इस परीक्षण को साइंसदान परमपरा- गत तरीकों के संग साथ आजमायेंगें .यहब्लड टेस्ट सीधे सीधे डायबिटीज़ से ब्लड वेसिल्स को होने वाले नुक्सान का जायजा ले लेता है ।
अपने शोधकार्य के दरमियान रिसर्चरों ने ४० -७९ साला ८२२ वयस्कोंका उत्तरी इटली में अध्ययन किया .और इस प्रकार ब्लड वेसिल हेल्थ की खबर देने वाला एक बेहतरीन ब्लड मारकर हाथ आया .
सन्दर्भ -सामिग्री :डायबिटीज़ एलर्ट १० ईयर्स बिफोर ओनसेट ,ब्लड टेस्ट टू डिटेक्ट जेनेटिक मोलिक्युल देट पिन -पॉइंट्स दोज़ अट हा -यर रिस्क (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर २० ,२०१० ,पृष्ठ १७ ).
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