क्रेविंग फॉर चोकलेट्स ,हाई -ब्रीड कार्स लिंक्ड टू जींस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर २२ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )।
क्या चोकलेट और हाई ब्रीड कारें देख कर आप के मुह में पानी आजाता है ,बेहद की बेकाबू तलब इन्हें खरीदने के प्रति आपमें पैदा होने लगती है ?
इस दुर्दमनीय लालसा ललक की वजह आपकी जीवन इकाइयां (जींस )भी हो सकतीं हैं ,खानदानी क्रेविंग रही हो सकती है आपकी वंशावली में इन चीज़ों के प्रति ।
ये निष्कर्ष उन अमरीकी रिसर्चरों की एक टीम ने निकालें हैं जिन्होनें उपभोक्ता पसंदगी पर अपने अध्ययन जुडवाओं(ट्विन्स ) पर किये हैं .इन चारित्रिक विशेषताओं (ट्रेट्स )की आनुवंशिक वजहें रिसर्चरों ने पता लगाईं हैं ।
चोकलेट्स ,हाई -ब्रीड कार्स ,विज्ञान गल्प फिल्मों और जज्ज संगीत के प्रति ख़ास किस्म का उन्माद ,सनक की हद तक हुड़क ,तलबदेखी गयी है ।
इतमर सिमोंसों,स्टेन -फोर्ड विश्विद्यालय , के नेत्रित्व में यह अध्ययन संपन्न हुआ है .उपभोक्ता पसंदगी का व्यापक जायजा लेने के बाद पता चला कई जिंसों (कन्जूमर आइटम्स की पसंदगी को खानदानी विरासत प्रभावित करती है कुछ जीवन इकाइयां इस तलब के पीछे रहतीं हैं .खरीद फरोख्त के माले में एक्स्त्रीम्स पर ना जाकर बीच का समझौता परक रास्ता निकालना भी ऐसी ही आदतों में आयेगा .ज़ूआ नहीं लाभ चाहिए इन्हें .ईजी और नॉन -रिवार्डिंग कामों में हाथ डालतें हैं ये लोग चुनौतियां स्वीकार कर जोखिम नहीं उठाते ये तमाम लोग .मौजूदा विकल्पों में से सर्वोत्तम का चयन करतें हैं ये लोग ।
अलबत्ता नेनो और बड़ी और आरामदायक कारों के मुकाबले आनुवंशिक वजहों के दायरे से बाहर हैं .केच -अप और टे -टूज़ के प्रति पसंदगी भी इसी विरासत के बाहर रह जातें हैं ।
आखिर बुद्धि मत्ता,विवेक शीलता के पीछेकुछ तो खानदानी वजहें भीरहतीं होंगी अध्ययन इस पर नए सिरे से रौशनी भी डाल सकता है .
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