वेक्सीन फॉर डें -ग्यु जस्ट ए स्टेप अवे (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई सितम्बर २१ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चरों ने डेंग -यु वेक्सीन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है उम्मीद की जा सकती है इस खतरनाक बुखार के अभि- शाप से जल्दी ही आम और ख़ास को छुटकारा मिलेगा ।इस पर गत सालों से काम ज़ारी है .अब केवल इसके ट्रायल्स का आखिरी चरण बाकी है उसके बाद इसे लाइसेंस मिल जाएगा आम स्तेमाल की छूट मिल जायेगी .डें -ग्यु -बुखार का वायरस तेज़ बुखार ,मिचली (वोमिटिंग )सिर दर्द ,हाड तोड़ जोड़ों के दर्द आदि की वजह बनता रहा है ।आँखों के पीछे का दर्द बेहद परेशान करता है .
इसे इंस्टिट्यूट फॉर चाइल्ड हेल्थ रिसर्च के पीटर रिचमंड के नेत्रित्व में दिशा मिली है .इसका एक टीका ही (सिंगिल वेक्सीन )चारों तरह की डें -ग्यु स्ट्रेन से हिफाज़त करेगा .
बच्चों और वयस्कों में इसका अध्ययन किया जा चुका है यानी फेज़ थ्री का काम हो चुका है अब सिर्फ नैदानिक परीक्षणों (क्लिनिकल ट्रायल्स )का आखिरी चरण बाकी है .बस शुरू होने को ही है यह अंतिम चरण भी उसी के बाद इस वेक्सीन का व्यावसायिक उत्पादन किया जाएगा ।
दुनिया की आधी आबादी ऐसे इलाकों में रहती हैं जहां डें -ग्यु की तलवार लटकती ही रहती है .बच्चों में खासतौर पर यह रोग गंभीरऔर घातक रूख ले लेता है ।
ऑस्ट्रेलिया में वे तमाम घुमंतू किस्म के लोग जो दक्षिण -पूर्व की ओर निकल जातें हैं डें -ग्यु की चपेट में आजातें हैं .खासकर बाली जाने वाले ट्रेवलर्स इसके निशाने पर आतें हैं .इस बरस गत बरसों से दोगुने मामले डें -ग्यु फीवर के उन ट्रेवलर्स में ही दर्ज़ हुएँ हैं जो बाली से लौटें हैं .इनमे से कई मामले गंभीर साबित हुएँ हैं ।
लिया ब्लों उत्तरी टाई -लैंड (थाईलैंड )से डें -ग्यु की सौगात लेकर लौटीं .उनकी अप्रेल यात्रा दुखद रही .पूरा हफ्ता रोअरिंग टेम्प्रेचर ओर आँखों के पीछे के तेज़ दर्द में गुजरा .आपको यकीन है वेक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल्स कामयाब रहेंगें .केवल ट्रेवलर्स को ही नहीं ट्रोपिक्स में (उष्ण -कटी बंधी क्षेत्र )में रहने वाले तमाम लोगों को इसके अभिशाप से मुक्ति मिलेगी .
मंगलवार, 21 सितंबर 2010
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