गत पोस्ट से आगे ...
अल्प -कालिक पेसिव स्मोकिंग भी उतनी ही बुरी है जितनी लॉन्ग टर्म एक्टिव स्मोकिंग .उस स्थान से हट जाइए जहां कोई सिगरेट सुलगा रहा है .धूम्र्पानियों को अपने फेफड़ों का स्तेमाल मत करने दीजिये .संग साथ तो उनका बिलकुल भी नहीं रखना है .खरबूजे को देख कर खरबूजा रंग बदलता है,वाली उक्ति चरितार्थ हो जायेगी ,आपको भी यह लत पड़जायेगी .
काल सेंटर्स में अपने पियर ग्रुप की खातिर कई युवतियां स्मोकिंग के जाल में फंस जाती हैं ,कहीं बॉय फ्रेंड पल्ला ना झाड ले ?
पीनी ही है तो रेड वाइन पीजिये और काम की बात यह है वह भी एक दिन में ३०-९० मिली -लीटर से ज्यादा नहीं ।
ब्लड सुगर भी कम कीजिये :
अपने डाय -बे -टोलोजिस्ट के साथ मिलकर ब्लड सुगर का प्रबंधन करें .अलावा इसके मोटापे का भी प्रबंधन कीजिये .हाई -ब्लड प्रेशर को भी विनियमित करना है .कोलेस्ट्रोल और ट्राई -ग्लीस राइड्स पर भी नजर रखनी है .ये सभी ज्ञात रिस्क फेक्टर्स हैं दिल के लिए जोखिम भरे हैं .और सबसे ज्यादा ज़रूरी है चीनी का सेवन बंद कर देना ।
क्या आप जानतें हैं चीनी हमारी खुराक में से पौष्टिक तत्वों का सफाया कर देती है ।
जब भी मौक़ा मिले अपनी डॉक्टरी जांच करवाएं .बे -काबू हाई -ब्लड प्रेशर जान ले सकता है इंजर कर सकता है आपकी सेहत को .किसी भी अंग को ले बैठ सकता है .क्योंकि इसका कोई लक्षण प्रकट ही नहीं होता .चुपके से आता है और अपना काम करके चला भी जाता है .इसीलिए इसे साइलेंट किलर कहा जाता है .३० के पार हर साल अपनी ब्लड प्रेशर जांच करवाइए .खासकर अगर आप मोटापे से ग्रस्त है डाय -बेटिक भी हैं . या फिर आपके परिवार में ह्रदय रोग चलता आया है ।
४० के पार हर औरत को जांच के लिए आगे आना चाहिए .रिस्क फेक्टर्स की गैर -मौजूदगी में भी .साल दर साल इसी में सलामती है .
बुधवार, 8 सितंबर 2010
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