बुधवार, 8 सितंबर 2010

दीर्घावधि वेट लोस हानि कारक भी हो सकता है ?

लॉन्ग टर्म वेट लोस मे बी हार्मफुल टू हेल्थ (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,सितम्बर ८ ,२०१० ,मुंबई संस्करण ,पृष्ठ २१ )।
एक अध्ययन में क्युन्ग्पूक नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने डुक -ही ली के नेत्रित्व में पता लगाया है ,दीर्घावधि वजन कम होते चले जाना ,कम बने रहना खून में कुछ ऐसे उद्योगिक प्रदूषक छोड़ देता है जो अमूमन चर्बी में जमा रहतें हैं .ये रसायन आम तौर पर फेटि -टिश्यु में बने रहतें हैं जो इन्हें आसानी से जज़्ब कर लेतें हैं लेकिन वसा के टूटने से जो वजन के घटने पर लगातार टूटती रहती है ये मुक्त होकर खून में चले आतें हैं .और आखिरकार डायबिटीज़ ,हाई -पर -टेंशन ,र्ह्युमे -टोइड आर्थ -राइटिस (गठिया ) जैसे डी -जेनरेतिव रोगों की वजह बनतें हैं .हम सुनते आयें हैं मोटापा कम करना वजन घटाना ,हर हाल में सेहत के लिए मुफीद रहता है .तथा वजन का बढना ,बढ़ते चले जाना हमेशा ही हानि कारक सिद्ध होता है .यहाँ तक की मोटापा खुद एक स्वतन्त्र रोग का दर्जा पा चुका है .लेकिन रिसर्चरों का ऐसा मानना है ,वजन के घटने से खून में उद्योगिक प्रदूषकों (इन- डस -ट्रीयल पोल्युटेंट्स)का स्तर बेतरह बढ़ते चले जाना मानव शरीर को अनेक तरह से असरग्रस्त बना सकता है .

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