कहाँ से आतें हैं उँगलियों के निशाँ ?और हर व्यक्ति के अपने विशिष्ठ निशाँ होतें हैं ,जो किसी और के नहीं होते ?
बेशक उँगलियों के निशाँ डी एन ए का हिस्सा नहीं होते .लेकिन हरेक व्यक्ति के लिए प्रोटीन तैयार करने के लिए उसके डी एन ए में सटीक अनुदेश विद्यमान होने ही चाहिए .और यह भी ,ज़रूरी- प्रोटिनें यकसां (सिमिलर )भी ज़रूरी हों .एक ख़ास आकार (साइज़ )भी हो इनका शक्ल (शेप )भी .तभी यह प्रोटिनें अपना काम ठीक से अंजाम दे पातीं हैं ।
गर्भ में ही नींव पड़ जाती है उँगलियों के निशाँ की .आखिर उसकी उंगलियाँ माँ के गर्भाशय (यूटरस ) पर एक दवाब जो बनाए रहतीं हैं .यही दवाब आखिर -कार फिंगर प्रिंट्स में तब्दील हो जाता है .
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