शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

विकिरण चिकित्सा और विकिरण शल्य चिकित्सा के बढ़ते हुए कदम ...

होप नोट फीयर केम्पेन ,टेक्नोलोजी टूदी रेस्क्यू .न्युअरथिरेपीज़ हेव द्रास्तिकाली रिद्युज्द रेडियेशन साइड इफेक्ट्स (प्रिवेंसन ,सितम्बर २०१० ,पृष्ठ ३२ )।

केमो -थिरेपी के संग साथ विकिरण चिकित्सा और विकिरण शल्य दोनों ही कैंसर से पार पाने के लिए आजमाई ज़रूर गईं हैं लेकिन शेष बची उम्र के लिए इसके अवांछित पार्श्व प्रभाव भी मरीजों को भोगने सहने पड़ें हैं .एक तरफ जीवन और दूसरी तरफ बेतरह पार्श्व प्रभाव .एक तरफ कुआं दूसरी तरफ खाई ।

मुख कैंसर के बाद एक मरीज़ को पास से देखने का इन पंक्तियों के लेखक को का मिला है .मेरे सहयोगीव्याख्याक्ता थेl . लार बनना बंद हो गया था .हलक हर दम सूखा रहता .हर ग्रास के साथ पानी तब जाकर निवाला हलक के नीचे उतरता था .बोलने में तकलीफ अलग .निचले जबड़े की अस्थि क्षति ग्रस्त हो चुकी थी .ज़बान बे -जायका हो चुकी थी .हाथ जोड़ कर सबको कहते थे -भाई साहिब सिगरेट छोड़ दो .१०-१५ साल पहले का परिद्र्शय है यह जो अब धीरे धीरे बदलता प्रतीत होता है ।

शुक्रिया अदा कीजिये ,इन -तेन -सिटी मोड्यु -लेतिद रेडिओ -थिरेपी (आई एम् आर टी ),इमेज गा -इ -दीद रेडिओ -थिरेपी (आई जी टी )और साइबर ना -इफ का .जहां आई एम् आर टी ने असर ग्रस्त अंग के आसपास के अंगों के साथ छेड़ छाड़ बंद करवा दी है ,विकिरण को उस स्तर पर लाकर सीमित लेकिन असर कारी कर दिया है जहां से किसी ख़ास पार्श्व प्रभाव से मरीज़ को दो चार नहीं होना पड़ता है .वहीँ आई जी टी यह शिनाख्त पक्का कर लेती है ,नियोजित आई एम् आर टी कहाँ चल रही है . अतिपरिश्क्रित रोबोटिक प्रणाली है ।

जो ट्यूमर -कंट्रोल में उतनी ही -असरकारी है जितनी आई एम् आर टी लेकिन .इसके पार्श्व प्रभाव कमतर हैं या फिरइसमें ट्यूमर कंट्रोल बेहतर लेकिन पार्श्व प्रभाव आई एम् आर टी जैसे ही दिखलाई देतें हैं ।
साबर ना -इफ का संग साथ आई एम् आर टी तथा आई जी आर टी के साथ सर्वोत्तम संभव लाभ दिलवाता है .

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