गत पोस्ट से आगे .....
साइंसदानों ने अपनी आजमाइशों में गोल कृमी(राउंड -वोर्म्स )को दो तरह के डाय -मन्ड्स फीड किये .पहले बेच के अन -कोटिड प्लेन डाय -मन्ड्स थे ,शुद्ध कार्बन और चंद नाइट्रोजन एटम्स से युक्त थे यह .इन्होनें गोल कृमी के डाइजेस -टिव ट्रेक्ट को कोट कर दिया .एक परत चढ़ा दी ,पाचन ट्रेक्ट पर ।
लेकिन दूसरे बेच के डाय -मन्ड्स जिन्हें गोल कृमी चट कर गये एक वशेष सुगर की परत से ढके थे .अब जब गोल कृमी को येलो लाईट से आलोकित किया गया ,दोनों ही डाय -मन्ड्स पपिलप्रकाश छोड़ने लगे जिससे गोल कृमी के अन्दर इनकी सटीक स्थिति का बोध हुआ ।
वास्तव में कोई भी प्रोटीन या रसायन से डाय -मन्ड्स को कोट किया जा सकता है .शरीर में पहुँचने के बाद नेनो डाय -मन्ड्स कैंसर ग्रस्त कोशाओं को ढूंढ कर उनसे चस्पा हो जायेंगें .रोगकारकों और अन्य कोशाओं के साथ भी ऐसा ही होगा ।
इस प्रकार डॉ कैंसर और अन्य हानिकारक पैथोजंस का पता लगा सकतें हैं जो शरीर को क्षति पहुंचा सकतें हैं .इसी प्रकार नेनो -डाय -मन्ड्स का स्तेमाल आइन्दा पोटेंट ड्रग्स कैंसर ग्रस्त कोशाओं तक पहुंचाने में किया जा सकेगा .स्टेम सेल्स का भी ट्रेक रख सकेंगें .यह कलम कोशायें एक तरफ फ़ौरन इम्यून रेस्पोंस पैदा करवाएंगी दूसरी तरफ नर्व डेमेज की भरपाई और मरम्मत भी .पूरे अंगों को भी इन कलम कोशाओं की मदाद से दोबारा गढ़ा जा सकेगा .सारा दारोमदार रिसर्च की कामयाबी पर टिका है ।
यह अध्ययन जर्नल "ए सी एस नेनो लेटर्स "में प्रकाशित हुआ है .
शुक्रवार, 10 सितंबर 2010
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