शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

नॉन -स्टिक पैन और बच्चोंके खून में कोलेस्ट्रोल का स्तर ,क्या कोई अंतर सम्बन्ध है ?

नॉन -स्टिक पैन्स अप कोलेस्ट्रोल लेवल इन किड्स ?"पी ऍफ़ ओ ए" एंड" पी ऍफ़ ओ एस" आर पार्ट ऑफ़ दी फेमिली ऑफ़ मेन- मेड कंपाउंड्स काल्ड पर -फ्ल्युओरो -अल -क्याइल एसिड्स ,व्हिच ह्युमेंस आर एक्सपोज्ड टू फ्रॉम डस्ट टू फ़ूड पैकेजिंग टू माइक्रो -वेव -पोपकोर्न एंड नॉन -स्टिक पैन्स(टाइम ट्रेंड्स ,दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर ,८ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
तसला ,कडाही ,तवा ,केसरोल ,सौस्पैन ,फ्राइंग पैन ,प्रेशर कूकर ,वोक ,चोप्स्तिक्स ,गर्ज़यह कोई भी हथ्थेदार छिछला बर्तन जो भोजन बनाने में काम आता है आज नॉन -स्टिकी तो है लेकिन सेहत के लिए ये पात्र बर्तन भाँडे अच्छे ही हों यह ज़रूरी नहीं है .इन पर जिन रसायनों की कोटिंग की गई है तथा वाटर प्रूफ बनाने के लिए फेब्रिक्स पर जिन रसायनों का लेप चढ़ाया गया है वह बच्चों के रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढा सकतें हैं ,एक अमरीकी अध्ययन से ऐसे ही संकेत मिले हैं .यह भी देखा गया ,जिन बच्चों में इन रसायनों(रासायनिक यौगिकों का खून में स्तर ) का स्तर अपेक्षाकृत ऊंचा रहा उनमेकुल कोलेस्ट्रोल का स्तर भीतथा एल डी एल (बेड कोलेस्ट्रोल लो डेंसिटी लिपो -प्रोटीन्सकोलेस्ट्रोल )भी सर्वाधिक पाया गया .जिन बच्चों के रक्त में इन अवांछित रासायनिक यौगिकों का ज़माव कम था उनके रक्त में टोटल कोलेस्ट्रोल तथा एल डी एल का स्तर भी उसी के अनुरूप कम मापा गया ।
बेशक इस अध्ययन से सीधे सीधे यह सिद्ध नहीं हो जाता ,रासायनिक यौगिक पर -फ्ल्युरो -एल्काइल एसिड्स एक्सपोज़र बढे हुए कोलेस्ट्रोल के लिए उत्तरदाई है लेकिन एक अंतर -सम्बन्ध ज़रूर दिखलाई देता है जिसकी पुष्टि निश्चय ही और अध्ययनों से भी होनी ही चाहिए .वेस्ट वर्जिनिया विश्व -विद्यालय के रिसर्चर स्टेफनी फ्रिस्बी एवं साथियों ने "आर्काइव्ज़ ऑफ़ पीडि -याट -रिक्स एंड एडोलिसेंत मेडिसन" में यही पेशकश की है ।
इन रिसर्चरों ने रासायनिक यौगिक "पर -फ्ल्युरो -ओक्टा -नोइक एसिड्स "या पी ऍफ़ ओ ए तथा पर -फ्ल्युरो -ओकतेन -सल्फोनेट या पी ऍफ़ ओ एस का अध्ययन किया है जिनका लेप अकसर खाना बनाने के बर्तनों के छिछले अंदरूनी हिस्से पर किया जाता है .ये रसायन हम तक पीने के पानी ,धूल,फ़ूड पैकेजिंग ,ब्रेस्ट मिल्क ,कोर्ड- ब्लड ,माइक्रो -वेव -पोप -कोर्न ,हवा तथा काम काज के स्थान पर एक्सपोज़र से पहुँचते रहतें हैं ।
एनीमल स्टडीज़ से पता चला है पर -फ्ल्युरो -एल -काइल एसिड लीवर को असरग्रस्त बना सकता है .जिससे रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर प्रभावित होता है,बदलता है .यकृत ही तो संशाधित करता है कोलेस्ट्रोल को .
मिड ओहायो रिवर वेळी के १२,००० बच्चों के रक्त साम्पिल्स फ्रिस्बी ने जुटाए थे .इनका अध्ययन विश्लेषण किया गया था .यहाँ के पानी में पी ऍफ़ ओ ए का डेरा रहा है .पता चला जिन बच्चों और किशोर किशोरियों के रक्त में इस रसायन का स्तर सर्वाधिक था उनमे कुल कोलेस्ट्रोल का स्तर भी ४.६ पॉइंट्स ज्यादा तथा एल डी एल ३.८ पॉइंट्स ऊंचा रहा ,बरक्स उन के जिनमे इस रसायन का स्तर कमतर था ।
ये रसायन दिमागी विकास (ब्रेन डिवलपमेंट )को भी प्रभावित करतें हैं ,जिसका असर बाद के व्यवहार में प्रकट होता है .बोध सम्बन्धी फंक्शन्स प्रभावित होतें हैं (कोगनिटिव फंक्शन्स असर ग्रस्त होतें हैं ),यही मंतव्य है बर्नार्ड वेइस का .आप रोचेस्टर विश्व -विद्यालय ,न्यू -योर्क कैम्पस से सम्बद्ध हैं .

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