सुपरबग वर्सस सुपरबग :रोचिज़ की टू न्यू ड्रग्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर ८ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
सबसे विषम और विपरीत परिस्थितियों में गन्दी गीली जगह पर रहने वाला एक कीड़ा है कोकरोच जो रात में अपना भोजन खाने के लिए निकलता है.रसोई का यह अवैतनिक सफाई कर्मचारी है .सारी गंदगी चट कर जाता है . .ब्रितानी विज्ञानियों को उम्मीद है अगली पीढ़ी की बेहतरीन एंटी -बाय -टिक्स दवाएं (जो दवाओं का प्रतिरोध करने वाले रोगकारक जीवाणुओं,"सुपर्ब्ग्स " के खिलाफ भी कारगर रहेंगी )इसी जांबाज़ कीट से तैयार की जायेंगी ।
कोकरोच और टिड्डी का दिमाग और स्नायुविक तंत्र(नर्वस सिस्टम )ऐसे नौ अणु से लैस है जो उन सुपर्ब्ग्स के लिए विषाक्त साबित होतें हैं जो एंटी -बाय -टिक्स दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध विकसित कर चुकें हैं .
नॉटिंघम यूनिवर्सिटी ,सेन्ट्रल इंग्लैण्ड के माहिरपोस्ट ग्रेज्यु -वेट रिसर्चर सिमों ली ने लैब दिश टेस्ट्स में पता लगाया है यह अभिनव यौगिक (नोविल कंपाउंड्स ) ९० फीसदसे भी ज्यादा संख्या में विषाक्त जीवाणु ई .कोली तथा मेथिसिलिन एंटी -बाय -टिक रोधी जीवाणु "स्टेफी -लोकोकस "का सफाया कर देता है ।
यह देखना अभी बाकीहै , बहु -चर्चित सुपर बग्स (असिनेतोबक्टेर ,प्सयूदोमोनस तथा बुर्खोल्देरिया )के खिलाफ यह नौ अणुओं का समूह कितना कारगर सिद्ध होता है ।
ली अपने तमाम काम कारिसर्च वर्क का लेखा जोखा "सोसायटी फॉर जनरल माइक्रो -बाय -लोजी "की इस सप्ताह होने वाली बैठक के समक्ष प्रस्तुत करेंगें .आप को इस बात से ज़रा भी हैरानी नहीं हुई है कोकरोच जैसे जान बाज़ कीड़े अपनी हिफाज़त के लिए खुद ही एंटी -माइक्रो -बियल ड्रग्स का स्राव करते चलतें हैं .आखिर बेहद गंदे औरबीमार करने वाले अस्वास्थ्य कर रोगकारकों से घिरे माहौल में ऐसा करना ज़रूरी भी तो है ,जहां हर पल अपने गंदे माहौल से ख़तरा है ,जहां हर तरह के पैथोजंस हैं, बेक्टीरिया हैं .पेस्ट्स हैं .माइक्रो -ओर्गेनिज्म के खिलाफ उन्हें एक अस्त्र तैयार करना ही था ।
बेशक यह शोध अपने शैशव काल में है .आगे बरसों अभी परीक्षण चलने हैं लेकिन वायदा तो है .हो सकता है एक दिन वफा भी हो .
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