सन -शाइन कैन गिव यु रिन्किल्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर ८ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
लंकास्टर यूनिवर्सिटी के साइंसदान ट्रेवोर म्च्मिल्लन और सरह ने पता लगाया है सूरज की रौशनी में मौजूद अल्ट्रा -वाय -लट -ए अंश चंद घंटों के प्रभावन (एक्सपोज़र )से ना सिर्फ चमड़ी को डेमेज कर सकता है ,भले ही आप कार में बैठें हों और रौशनी विंडो से छन कर आ रही हो ।फोटो -एजिंग भी करता है .
वास्तव में इन साइंसदानों के मुताबिक़ "लो डोज़ भी अल्ट्रा -वे -लट -ए"विकिरण की फोटो -एजिंग में शामिल चंद जीवन इकाइयों को ५० गुना ज्यादा सक्रीय (५० फोल्ड इन -क्रीज़ इनसर्टेन जीन -एक्सप्रेशन )कर देती है .लिहाजा चेहरे का वह भाग जिस पर रौशनी पडती है ७ साल तक बूढ़ा दिखने लगता है चेहरे के दूसरे पार्श्व की बनिस्पत ।
सूरज की रौशनी और ताप को विटामिन -डी का कुदरती स्रोत माना समझा जाता है .इसी रौशनी की मौजूदगी में विटामिन डी बनता है .लेकिन इसका खामियाजा आपको रिन्किल्स के रूप में उठाना पड़ सकता है .इसकी पुष्टि दो स्वतन्त्र अध्ययनों से हो चुकी है .मजेदार बात यह है कार की विंडो से छन कर आने वाली विकिरण का अल्ट्रा -वाय -लट -ए अंश उतना ही असरकारी रहता है .लिहाजा चेहरे का एक भाग जिस पर रौशनी पड़ रही है वह अपेक्षाकृत बूढा दिखने लगता है .उन लोगों कीराम जाने जो टेनिंग के लालच में घंटों सूरज की रौशनी को तकते रहतें हैं .साइंसदानों ने अपने यह अध्ययन अप्रेल की धूप और ताप में किये हैं .
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