सिंड्रेला एक परिकथा की उपेक्षित पात्रा है जो अपनी सौतेली माँ ,बहिनों के हाथों पल प्रति पल प्रताड़ित की जाती है .मनो -विज्ञानी इस शब्द समुच्चय का स्तेमाल अपनों के हाथों सौतेलों की दैहिक और मानसिक ,यौन शोषण के सन्दर्भ में करतें हैं .इन अभागे सौतेलों के शोषण को ही "सिंड्रेला प्रभाव" कहा गया है ।
भारत के सन्दर्भ में इसका चलन बड़े व्यापक स्तर पर हैं .अनाथ गृह हो या नारी -निकेतन यहाँ रक्षक ही भक्षक की भूमिका में आतें हैं .कुछ होता हवाता नहीं है .आये दिन का किस्सा है यह .पूरी व्यवस्था हीयहाँ गंधाने लगी हैं.चंडीगढ़ हो या मुंबई "स्नेहालय "में नाबालिगों का शोषण यकसां है .
सोमवार, 13 सितंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें