सोमवार, 13 सितंबर 2010

इलेक्ट्रोनी चमड़ी का मतलब बहुआयामीय है ;;;;;

"इलेक्ट्रोनिक" स्किन टू पेव वे फॉर नेक्स्ट -जेन -रोबोट्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर १३ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
जैव -प्रोद्यो -गिकी के माहिरों ने एक ऐसी इलेक्ट्रोनी चमड़ी रच ली है जो स्पर्श के प्रति संवेदी है .इससे एक तरफ बढ़िया कृत्रिम अंगों का विकास होगा और दूसरी तरफ नै पीढ़ी के यंत्र मानवों का जो देखने में सुगढ़ होंगें आज की तरह फूहड़ और भदेस नहीं ।
लैब में तैयार यह पदार्थ (मेटेरियल )मानवीय चमड़ी की तरह ही प्रेशर की टोह लेलेता है .ब्रितानी जर्नल नेचर मेटीरियल्स में इस अन्वेषण की पूरी रपट प्रकाशित हुई है .अब शीघ्र हीरोबोट्स के टच सेंसिटिव संस्करण दिखलाई देंगें ।
इंसान यह बा -खूबी जानता है" रा -एग" को कैसे हेंडिल किया जाए ताकि वह टूटे ना ,किसी क्रोकरी के पैकिट को कैसे खोला जाए जिसमे वाइन के ग्लास पेक किये गयें हैं . क्या यही काम यह रोबो भी बाखूबी अंजाम दे सकेंगें .साइंसदानों की अपेक्षाएं तो यही हैं ।
जवेय्ज़ की टीम ने जो ई -स्किन रची गढ़ी है लैब में ,वह जर्मेनियम और सिलिकोन के नेनो -वायरस का एक मेट्रिक्स (ढांचा )है .इसे एक स्टिकी (चिपचिपी )पोलिमाइड फिल्म पर रोल करके जंचाया(फैलाया गया है ) गया है।
इस पर नेनो -स्केल ट्रान -जिस -टार्स समायोजित किये गये हैं .इन्हें एक प्रेशर संवेदी रबर से आच्छादित किया गया है ।
४९ वर्ग सेंटी -मीटर्स आकार की यह इलेक्ट्रोनी चमड़ी ०-१५ किलो -पास्कल प्रेशर को ताड़ लेती है .कंप्यूटर की बोर्ड पर लिखते समय भी हम तकरीबन इतना ही दाब डालतें हैं ।
stanford यूनिवर्सिटी ,केलिफोर्निया कैम्पस के साइंसदान एक ऐसी रबर फिल्म का स्तेमाल इस एवज कर रहें हैं जिसकी मोटाई (थिकनेस )दाब पड़ने पर तब्दील हो जाती है ।
उम्मीद की जा सकती है कल के कृत्रिम अंगों में एक नफासत का पुट होगा .

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