लाज ऑफ़ फिजिक्स नोट दी सेम एवरीव्हेयर ?न्यू एविडेंस डिफा -इज़ आइन्स्टाइन ,सजेस्ट्स कोंस्टेंट्स डिफरेंट इन पार्ट्सऑफ़ कोस्मोज़ (टाइम्स ट्रेंड्स ,दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,सितम्बर १० ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
आइन्स्टाइन महोदय ने कहा था -भौतिकी के नियम उन सभी प्रेक्षकों के लिए यकसां (एकसमान )रहतें हैं ,सदैव ही लागू होतें हैं जो परस्पर एक समान(युनिफोर्म )सरल -रेखात्मक गति करतें हैं .इसे समतुल्यता का सिद्धांत कहा जाता है (आइन्स्ताइन्स इक्योवेलेंस प्रिन्स्पिल कहा जाता है ।).
रिसर्चरों ने कहा है और पता भी लगाया है ,इत्तेफाकन हम अखिल सृष्टि के ऐसे हिस्से में रहतें हैं जो हमारे अस्तित्व केबस एक दम से अनुकूलभर है .प्रकृति के कुछ नियतांक (कोंस्टेंट्स )ऐसे हैं जो अखिल सृष्टिके लिए यकसां नहीं हैं .हालाकि इस विचार को अब से कोई १०० बरस पहलेआइन्स्टाइन के विशेष सापेक्षतावाद के सिद्धांत के आविष्कार के बाद ही तिलांजलि दे दी गई थी .लेकिन अधुनातन अध्ययन एक बार फिर इसी विवाद पर आटिका है जिसके तहत कहा जा रहा है ,फाइन स्ट्रक्चर कोंस -टेंट एल्फा जिसका सम्बन्ध प्रकाश और पदार्थ के बीच परस्पर इंटरेक्शन से है सभी प्रेक्षकों के लिए यकसां नहीं है ।
चिली में एक विशाल दूरदर्शी से इस अध्ययन के लिए आंकड़े जुटाए गये हैं .जिनसे पता चला है -अन्तरिक्ष में (इन स्पेस )एल्फा का मान अलग अलग है ,समय के साथ भले ही यह नियत बना रहे .(एल्फा वेरीज़ इन स्पेस रादर देन इन टाइम ).सृष्टि के शेष हिस्सों में एल्फा का मान पृथ्वी के मान के बरक्स बस थोड़ा सा ज्यादा है ।
माहिरों की एक टीम ने एल्फा का मान सृष्टि के अलग अलग छोरों ,बिन्दुओं से आने वाले प्रकाश के लिए निकाल कर विश्लेषण किया है .तकरीबन ऐसे ३०० प्रेक्षण लिए गये हैं .पता लगाया गया है यह बदलाव (वेरिएशन इन दी वेल्यु ऑफ़ एल्फा )रेंडम ना होकर स्ट्रक्चर्ड है ,एक बार मेग्नेट की तरह है ।
यूनिवर्स के एक छोर के लिए इसका मान ज्यादा तथा दूसरे के लिए कमतर है .(दी यूनिवर्स सीम्स टू हेव ए लार्जर एल्फा ऑन वन साइड एंड ए स्मालार एल्फा ऑन दी अदर .दिस डाई -पोल एलाइन्मेन्त नियरली मेचिज़ देट ऑफ़ ए स्ट्रीम ऑफ़ गेलेक्सीज़ मूविंग तुवार्ड्स दी एज ऑफ़ दी यूनिवर्स .अर्थ सीट्स समव्हेयर इन दी मिडिल ऑफ़ दी एक्स्त्रीम्स फॉर एल्फा )।
यदि यह अवधारणायें सही है तब यह भी पता चलेगा यह एल्फा की एकबस सटीक वेल्यु है पृथ्वी के लिए जिसने यहाँ जीवन के अनुकूल माहौल रचा है .
शुक्रवार, 10 सितंबर 2010
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