विश्व स्वास्थ्य संग- गठन द्वारा ज़ारी विश्व -स्वास्थ्य रपट २००४ के अनुसार दुनिया भर में मर्दों के बरक्स ज्यादा औरतें दिल के रोगों का ग्रास बन मर जातीं हैं .सिर्फ मर्दों का रोग नहीं है दिल का मर्ज़ .स्तन कैंसर ,एच आई वी -एड्स ,हार्ट डिजीज तथा प्रसव से मरने वाली कुल औरतों में भी दिल का रोग बढ़त बनाए हुए है .सबसे ज्यादा यही निगल जाता है "गुल -बदन को" .वजह बनती है हमारी ला -परवाही ,ना -समझी और मिथ ।
इन्हीं मिथकों को तोड़ने से ताल्लुक रखती है यह छोटी सी कोशिश ,गौर फरमाएं :
पहले एक नजर भारतीय परिदृश्य पर .जहां वर्ष १९८३ में १००० औरतों में से ११ को दिल का रोग दर्ज़ हुआ है वहीँ यह संख्या अब बढ़कर २०१० में १११ हो गई है .(स्रोत :डॉ के के अग्रवाल ,मूल चंद मेडिसिटी दिल्ली ,आप मशहूर ह्रदय रोग विशेषज्ञ हैं .दिल्ली में लगने वाले स्वास्थ्य मेलों की आप रौनक और ऐनक दोनों हैं ।).
एक मिथ यह भी है दिल का रोग औरत को मर्द के बरक्स कम से कम ५-१० साल देर से होता है ।
भ्रष्ठ खान पान,जीवन शैली ने वह लाभ भी बराबर कर दिया है जो अब तक प्री -मिनो -पोज़ल वोमेन को मिलता रहा है ,प्रजनन क्षम उम्र और इस्ट्रोजन के चलते ।
धूम्रपान और डायबिटीज़ का मर्ज़ औरत के लिए ज्यादा आफत पैदा करता है .दिल के ज्ञात खतरें हैं ,रिस्क फेक्टर्स ये दोनों .
तथ्यों के आईने से देखें ,गत दशक में परिह्रिदय धमनी रोगों से ज्यादा से ज्यादा महिलायें ग्रस्त हुईं हैं .और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है .(स्रोत :डॉ के श्री नाथ रेड्डी ,प्रेसिडेंट पब्लिक हेल्थ फाउन-डे -शन ऑफ़ इंडिया ,पूर्व मुखिया ,हृद रोग प्रभाग ,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ,नै दिल्ली ।).
औरत के दिल केलिए कुछ मुफीद अच्छी बातें भी हैं :
(१)इस्ट्रोजन सेफ्टी ब्लेंकेट :रजोनिवृत्ति से पूर्व यह दिल के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम कारता है .एक तरफ यह रक्त वाहिकाओं को रिलेक्स रखता है दूसरी तरफ इनकी अंदरूनी दीवारों में चिकनाई (प्लाक )के जमने ,धमनी की दीवारों को अन्दर से खुरदरा करने से रोकता है .इसी कवच के चलते अक्सर हृद रोग औरतों को रजो -निवृत्ति (मिनोपोज़ )के बाद ही तंग करता है .लेकिन गर्भ निरोधी टिकिया का नियमित सेवन ,धूम्रपान और डायबिटीज़ इस लाभ को मटिया मेट कर देता है .इनके चलते इस छतरी में सुराख हो जातें हैं छीजने लगता है यह सुरक्षा कवच ।
( २ )प्रजनन क्षम औरतों के मामले में यही इस्ट्रोजन ह्रदय के दोस्त कोलेस्ट्रोल "एच डी एल "को मर्दों के बरक्स ५-१० पॉइंट्स ऊपर बनाए रहता है .कोरोनरी आर्टरी डिजीज के खतरे को कम करता है हाई डेंसिटी लिपो -प्रोटीन कोलेस्ट्रोल (एच डी एल ).यह बोनस है प्रजनन की भूमिका अदा करने का .माँ की हृद वाहिकाओं में कोलेस्ट्रोल के ज़मने,चिकनाई के जमने को रोकता है एच डी एल .इसी वजह से प्लेसेंटा को भी भरपूर रक्ता -पूर्ती होती रहती है ,हेल्दी ब्लड सप्लाई मयस्सर होती है .एच डी एल का उच्च स्तर बने रहना बच्चे की बढ़वार में भी मदद गार रहता है .अलबत्ता रजोनिवृत्ति के बाद यह लाभ मिलना बंद हो जाता है .एच डी एल का स्तर गिर जाता है .ह्रदय रोगों का ख़तरा बढ़ता चला जाता है .
और ध्यान रहे धूम्रपान (स्मोकिंग )और डायबिटीज़ एच डी एल के स्तर को असरदार तरीके से कम करदेतें हैं .इसलिए इसे गलत आदतों के हाथों गिरवीं नहीं रखना चाहिए ।
एच डी एल का उच्च स्तर हृद रोगों के खतरे के वजन को घटाता है .अलावा इसके एच डी एल और एल डी एल का अनुपात भी खतरे के वजन या लाभ की इत्तला देता है .इसलिए अपने पूरे लिपिड प्रोफाइल पर गौर कीजिये .ट्राई -ग्लीस -राइड्स का भी तो जायजा लीजिये .तभी पूरी तस्वीर सामने आएगी .(ज़ारी ...)
बुधवार, 8 सितंबर 2010
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1 टिप्पणी:
nice
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