हीट इज ऑन :२०१० टू बी अमंग दी थ्री वार्मेस्ट ईयर्स (कोल्ड फेक्ट :२००१ -१० वाज़ दी वार्मेस्ट डिकेड ,सेज यु एन )/टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर४ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
मानव रचित जलवायु परिवर्तन का सूचक माना जा रहा है ,साल २०१०. जबसे तापमानों का रिकार्ड रखा जा रहा यानी १८५० से लेकर आज तक का सबसे गर्म सालों में से एक साल सिद्ध हो रहा है २०१० ..इस से पूर्व १९९८ और २००५ में सबसे ज्यादा लैंड और सी तापमान दर्ज़ किये गए थे ,फिलवक्त यह साल इन रिकार्डों का अतिक्रमण करता प्रतीत होता है (हालाकि अभी दिसंबर का महीना बाकी है जो अपेक्षाकृत ठंडा भी रह सकता है )।
२०१० में अब तक दर्ज़ लैंड और सी तापमान ,१९६१ -१९९० में दर्ज़ औसत तापमान १४ सेल्सियस से आगे निकल कर १४ .५५ सेल्सियस दर्ज़ हो चुके हैं .विश्व -मौसम संगठन के मुताबिक़ इस शती का पहला दशक २००१ -२०१० अब तक का सबसे गर्म दशक सिद्ध हो चुका है .हो सकता है साल २०१० जिसकी रेंकिंग २०११ में प्रकाशनाधीन है भी अब तक का सबसे गरम साल सिद्ध हो ।
विश्व -मौसम संस्था के प्रमुख मिचेल जर्रौड़ का साफ़ कहना है ,जीवाश्म ईंधनों के दहन से पैदाग्रीन हाउस गैसें जलवायु को गरमा रहीं हैं ।
कानकुन में (केरेबियन रिजोर्ट )नवम्बर २९ -दिसंबर १० के बीच इसी मसले पर २०० मुल्कों की विमर्श बैठक चल रही है .जलवायु परिवर्तन का मुद्दा एहम है .यदि जीव-अवशेषी ईंधनों (फोसिल फ्युएल्स )का सफाया हम इसी रफ्तार से करते रहते हैं तब गर्मी और भी बढती रह सकती है.विश्व -व्यापी तापन उत्तरोत्तर बढ़ता रह सकता है .कुछ तो करना होगा .हाथ पर हाथ धरे रहकर बैठे रहने से क्या होगा ?
अफ्रिका ,एशिया के कुछ हिस्से तथा आर्कटिक बेहद तप रहें हैं .१९४२ के बाद से अब तक का सबसे ज्यादा तापमान ५३.५ सेल्सियस इस बरस पाकिस्तान में दर्ज़ किया गया है जो अभी भी बाढ़ के उत्तर प्रभाव भुगत रहा है .
शनिवार, 4 दिसंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें