लाइफ ऑन अर्थ बिगेन ३ बिलियन ईयर्स एगो .'ग्रेट सर्ज 'केम आफ्टर प्रिमिटिव फोर्म्स दिविलाप्द वे टू हार्नेस सनलाईट.दीकलेक्टिव जीनोम ऑफ़ आल लाइफ एक्स्पान -डिड मेसिवली बिटवीन ३.३ एंड २.८ बिलियन ईयर्स एगो .ड्यूरिंग दिस टाइम ,२७%ऑफ़ आल प्रिज़ेन्तली -एग्जिस्टिंग जीन फेमिलीज़ केम इनटू बींग ,ए स्टडी सेज .(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २० ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
अब से कोई तीन अरब बरस पहले जब जीवन के प्रारम्भिक (आदिम स्वरूपों )ने सूरज की अनंत ऊर्जा का दोहन करना सीख लिया था तेज़ी से जीवन स्वरूप विकसे .यह निष्कर्ष मासाच्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी (एम् आई टी )के साइंसदानों ने एक ऐसा जीनोम फोसिल तैयार कर लेने के बाद निकालें हैं जिसमे आज मौजूद तकरीबन १००० प्रमुख जीवन- इकाइयों का गणितीय प्रारूप सार रूप में मौजूद है .सूदूर अतीत से आदिनांक विकास के किन चरणों से होकर ये जीवन खंड यहाँ तक पहुंचे है इसका भी जायज़ा लिया गया है ।
पता चला है अबसे कोई २.८ से ३.३ अरब बरस पहले तमाम जीवन स्वरूपों के सांझा जीनोम का विस्तार हुआ .आज मौजूद तकरीबन २७ फीसद जीन परिवार इस काल खंड में अपना अस्तित्व मुखरित कर चुके थे ।
एक जैव रासायनिक प्रक्रिया (मोद्रन इलेक्त्रों ट्रांसपोर्ट )ने इसे हवा दी .इसी प्रक्रिया के तहत कोशाओं की झिल्लियों के बीच इलेक्त्रोंन गति करतें हैं ।
दिस इज ए" की बायलोजिकल फंक्शन ",इन्वोल्विंग दी मूवमेंट ऑफ़ इलेक्त्रोंस विद इन दी मेम्ब्रेंस ऑफ़ सेल्स .पादप और कुछ माइक्रोब्स भी इसी के तहत प्रकाश संश्लेषण के ज़रिये सूरज से ऊर्जा लेतें हैं ,ऑक्सीजन लेतें हैं .(ऑक्सीजन पर आधारित हैं ये जीवन स्वरूप )।
इसकेबाद (तकरीबन पचास करोड़ साल बाद )ग्रेट ओक्सिदेशन इवेंट की शुरुआत हुई . इसी दरमियान ऑक्सीजन पर आधारित जीवन पनपा .पृथ्वी के ज्ञात इतिहास में यही वह दौर था जब जब विशालकाय जीवन स्वरूप अस्तित्व में आये .इसी के साथ आदिम स्वरूप /माइक्रोबियल लाइफ फोर्म्स (नॉन -ऑक्सीजन लाइफ फोर्म्स ) विलुप्त हो गए .इनका स्थान ऑक्सीजन आधारित स्मार्ट जीवन स्वरूप लेते चले गए ।
अब जैव मंडल (बायो -स्फीयर ) को एक अपेक्षतया बड़ा एनर्जी बजट मयस्सर था .इसी के चलते लार्जर तथा ज्यादा पेचीला (मोर कोम्प्लेक्स इको -सिस्टम्स )पैदा होते चले गए .फिलवक्त जीवित प्रजातियों के सांझा डी एन ए में अर्वाचीन घटनाएं दर्ज़ हैं .यही इस शोध की खूबसूरती भी है हासिल भी है .
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