मलेरिया इन्फेक्तिद सेल्स स्तिफन्द ,ब्लोक ब्लड फ्लो टू ब्रेन(मुंबई मिरर ,दिसंबर २२ ,२०१० ,साइंस -टेक ,पृष्ठ २४ )।
पहली मर्तबा साइंसदानों ने मलेरिया परजीवी की हमारे शरीर में घुसपैंठ का पूरा खाका प्रस्तुत किया है .इसके लिए अभिनव पीढ़ी के कम्प्यूटरों के नवीनतम मोडिलों के अलावा लैब आजमाइशों का भी सहारा लिया गया है ।
ब्राउन यूनिवर्सिटी के अलावा मास्साच्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी के रिसर्च्दानों ने इस काम को आगे बढाया है ।
एक मर्तबा मलेरिया परजीवी से संक्रमित होने के बाद रेड ब्लड सेल्स अपनी लोच खोकर सामान्य से ५० गुना ज्यादा कठोर पड़ जाती है .नतीजा यह होता है यह दिमागी केप्लारीज़ को ही अवरुद्ध कर देतीं हैं ऐसे में दिमाग के साथ साथ कई क्रिटिकल ओर्गेन्सको रक्तापूर्ति
में बाधा आने लगती है ।
रिसर्च्दानों का सारा काम मलेरिया परजीवी 'प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम 'पर केन्द्रित रहा है .यही ब्रेन की केपिलारीज़ को अवरुद्ध कर देता है .बस एक संक्रमित मच्छर के आपको काटने की देर है .बस यह लाल रुधिर कणिकाओं पर धावा बोल देता है .हेल्दी ब्लड सेल्स के बरक्स इनकी इलास्टिसिटी ५० गुना कम हो जाती है .रिजिड (इम्मोबाइल ) होके रह जाती हैं यह ब्लड सेल्स और बस दिमागी केश -नलिकाओं (केपिलारीज़ ऑफ़ दी ब्रेन ) में ही यह फसके रह जाती हैं .सेरिब्रल मलेरिया में ऐसा ही होता है ।
नतीज़ा होता है ब्लोकेड.इस अध्धययन के नतीजे 'प्रोसीडिंग्स ऑफ़ दी नेशनल अकादेमी ऑफ़ साइंसिज़ में प्रकाशित हुएँ हैं .
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