जिस देश का लोकतंत्र ही पटरी से उतर गया हो उस देश में रेलगाडियां निर्बाध चलें भी तो कैसें ?
यहाँ कोई भी 'बैंसला 'आकर रेलों को रोक देता है ।
ज़ाहिर है आरक्षण अपने मकसद में असफल रहा .हिन्दुस्तान में अभी भी कई राज्यों में सिर पर मैला(मानव मलको ) ढ़ोया जाता है ।
आरक्षण बारहा कई राज्यों में अपेक्स कोर्ट द्वारा ज़ारी ५० % का भी अतिक्रमण कर चुका है .इस देश में अब दो ही किस्म के लोग रह गए हैं :
(१)आरक्षित ।
(२)विकलांग ।
संसद क़ानून बना कर यह नियम पारित कर सकती है ,जो राष्ट्रीय संपत्ति को नुक्सान पहुंचाएगा ,व्यक्ति ,संघ और ऐसा करने वाले को समर्थन देगा ,उसे संरक्षण देगा ,ब्याज समेत हर्जाना वही भरेगा .फिर देखें किस बैंसला में कितना दम है ।
देश का दुर्भाग्य संसद चलती ही नहीं है .खुद पटरी से उतरी हुई है .ऐसे में रेलगाड़ियाँ चलें तो कैसे ?बैंसला छुट्टा घूम रहें हैं आवारा अशुओं की मानिंद .
शनिवार, 25 दिसंबर 2010
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