एन्टार्क्टिक आइस्क्यूब टू एड डार्क मैटर हंट :(दीटाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २५ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
एक दशक की कड़ी और थकाऊ कोशिशों के बाद साइंसदान एन्टार्क्टिक के टुन्ड्रा में एक न्यूट्रिनो वेधशाला बनाने में कामयाब रहे हैं .इससे डार्क मैटर के अन्वेषण में ,अव -परमाणु -विक कणों के अध्ययन और शिनाख्त ,द्रव्य की मूलभूत कणिकाओं के मिजाज़ को समझने में मदद मिलेगी ।
एक घन -किलो -मीटर भुजा वाली (ए क्यूब विद ईच साइड वन किलोमीटर) एक आइस क्यूब के अन्दरअवस्थित है यह ओब्ज़र -वेटरी(वेधशाला )।
अमरीकी 'अमुन्न्द्सें -स्कॉट -साउथ पोल स्टेशन के नज़दीक १४०० मीटर की गहराई पर है यह वेधशाला .कण भौतिकी रिसर्च ,डार्क मैटर की टोह के लिए यह एक शानदार उपलब्धि है ।
समझा जाता है डार्क मैटर का बहुलांश न्युत्रिनोज़ का ही बना है .यह (न्यूट्रिनो )एक 'उदासीन 'आवेशहीन कण है .पदार्थ के साथ इसका इंटरेक्शन न के बराबर ही कहा जायेगा .पृथ्वी के सीने को चीर कर यह आरपार चला जाता है .द्रव्य के कणों का नोटिस ही नहीं लेता .इट इज एनी ऑफ़ दी थ्री स्टेबिल एलीमेंट्री पार्टिकिल ऑफ़ दी लेपटोंन फेमिली ,विद ए जीरो रेस्ट मॉस एंड नो चार्ज .इट मस्ट हेव सम मॉस ड्यू टू इट्स मोशन.हाउ मच इज देट इज नोट नॉन एज यट.डार्क मैटर इज सपोज्ड टू बी मेड अप ऑफ़ न्युत्रिनोज़ .
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