स्टडी शोज़ देट ए फादर्स ईटिंग हेबिट्स कैन इन्फ़्ल्युएन्स दी जेनेटिक मेक -अप ऑफ़ दी ओफ्स्प्रिंग .(साईं -टेक /मुंबई मिरर ,दिसंबर २५ ,२०१० ,पृष्ठ २८ )।
बाप के माहौल (पर्यावरण ,खासकर उसके खान -पान) का असर स्तनपाइयों (मेमेलियंस) के मामले में उसकी संतानों तक जाता है .खानदानी अंश (जीवन इकाइयां ,जीवन खंड या जींस )भी असर ग्रस्त होतें हैं ।
डायबीटीज़ और हृद रोगों में संतानों के माँ -बाप का उनके जन्म से पूर्व का पर्यावरण भूमिका अदा करता है .आपके जन्म के पहले आपके माँ -बाप की जीवन शैलियाँ(खान -पानी ,रहनी सहनी ) आपके लिए रोग प्रवणता (आईंदा होने वाले रोगों के जोखिम के वजन ) की भी प्रागुक्ति ,भविष्य वाणी है .रिस्क फेक्टर्स फॉर सर्टेन डिजीज कैन बी प्री -डिक -टिड.मासाच्युसेट्स मेडिकल स्कूल और टेक्सास विश्विद्यालय ,ऑस्टिन कैम्पस के रिसर्चरों ने अपने इस अध्ययन में नर चूहों के दो समूहों को अलग अलग खुराक मुहैया करवाई ।
पहले समूह को एक मानक खुराक (स्टें -दर्ड डाइट)तथा दूसरे वर्ग को लो प्रोटीन खुराक दी गई .लेकिन (टू कंट्रोल फॉर मेटर -नल इन्फ़्ल्युएन्सिज़) सभी मादा माइस को एक जैसी खुराक ही दी गई ।
पता चला लो प्रोटीन वर्ग में लिपिड्स और कोलेस्ट्रोल का संशाधन करने वाली जींस की भरमार है ।स्टें -दर्ड डाइट लेने वाले समूह में ऐसे जींस की संख्या सामान्य पाई गई .
विज्ञान पत्रिका सेल में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है .ऐसे ही नहीं कहा गया है :यु बिकम व्हाट यु ईट .नाव दी सेइंग गोज़ -यु आर व्हाट योर डैडी एट बिफोर यु वर इविन बोर्न .
शनिवार, 25 दिसंबर 2010
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