कुछ बीमारियाँ तीमारदारों परिवार के दूसरे सदस्यों की भी पूरी अग्नि -परीक्षा लेतीं हैं .अल्ज़ाइमर्स के अलावा पार्किन्संज़ को भी इसी श्रेणी में रखा जाएगा .क्या किया जाए मरीज़ के साथ सहानुभूति के अलावा तालमेल बिठाने के लिए .खुद अपनी संभाल के लिए क्या किया जाए .तीमारदारों के लिए भी डी -वास -टेटिंग हो जातीं हैं यह बीमारियाँ .मेरा खुदका भी ऐसे मरीजों से कई मर्तबा पाला पड़ा है .इनके तीमारदारों की पीड़ा को मैंने करीब से देखा है ।
सबसे पहले इन बीमारियों के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है .इसके दुष्प्रभावों का भी इल्म होना चाहिए .तीमारदार के लिए धेर्य बनाए रखना मरीज़ के साथ ज़रूरी है .कभी भी अपना आपा खोकर मरीज़ पर अपना गुस्सा न निकालें .अवसाद ग्रस्त हो सकता है मरीज़ ।आप खुद भी अवसाद ग्रस्त हो सकता है तीमारदार .
मरीज़ का संभाषण असर ग्रस्त होता है इन बीमारियों में भूल कर भी उसका मज़ाक न बनाएं .जो है उसे स्वीकार करें .मान कर चलें ऐसा ऐसा होगा .अल्ज़ाइमर्स का मरीज़ तो शोर्ट टर्म मेमोरी के अलावा आगे चलकर लॉन्ग टर्म मेमोरी लोस की चपेट में भी आजाता है .तीमारदार को ही पहचानना भूल जाता है .प्रेसिडेंट रीगन को बीमारी के आखिरी चरण में यह भी इल्म नहीं रहा था सिरहाने बैठी जो महिला उनकी सेवा कर रही थी वह और कोई न होकर खुद उनकी बीवी नेन्सी रीगन है .अल्ज़ाइमर्स की तरफ अमरीका का विशेष ध्यान इसी एपिसोड के बाद गया है ।
पार्किन्संज़ के मरीज़ का बेड रिदिन होके रह जाना रोग को और भी तेज़ी से बढा सकता है ,जहां तक संभव हो मरीज़ को उत्साहित करें ,उठने बैठने में उसकी मदद करके उसे स्व -निर्भर होने की कोशिश ज़रूर करने दें ।
२४/७ मरीज़ का संग साथ तीमारदार के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं .तीमारदार के लिए ज़रूरी है अपने लिए भी बीच बीच में थोड़ा वक्त निकाले .अपनी अभिरुचि का कोई काम ज़रूर करे .जो भी मुमकिन हो किया जाए .अपनी होबी को ज़िंदा रखा जाए .दोनों के सहजीवन के लिए यह ज़रूरी है .इससे दोनों को लाभ होगा .मरीज़ को भी तीमारदार को भी ।
तीमारदारों के लिए भी एक सपोर्ट ग्रुप होना चाहिए जहां वह अपने अनुभवों को परस्पर बाँट सकें .
मंगलवार, 28 दिसंबर 2010
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